उड़ता रहा है आज तक अपने ही जोर से
हवाओं के रुख पर कभी चलता नहीं
बचता है रोज ही वो बुराई की राह से
पर बुरे को भी बुरा बताता नहीं
यूँ तो राहे ज़िन्दगी दुश्वार बहुत थी
पर सोजे-पा मंजिल को दिखाता नहीं
देता रहा है सबको वो पैगाम ए दोस्ती
रकीबों से भी नफरत कभी करता नहीं
देखा है जबसे उसने किनारे पे डूब कर
तूफ़ान मे कश्ती पे हँसता नहीं
कट जाये चाहे रोज अनाओं के वास्ते
पर सर को कभी अपने झुकाता नहीं
तेरा ही जिक्र था मेरी हर एक ग़ज़ल में
और होठों पे तेरा नाम भी लाता नहीं
दफन हैं इस दिल में यारों की ज़फाएँ
किस्सा ए दिल किसी को सुनाता नहीं
वो तेज हो तूफाँ या बारिश भी बहुत हो
चरागों को बुझा कर कभी रखता नहीं
लगता है खो गया है खुद में ही इस कदर
किसी को आज कल कही मिलता नहीं
हवाओं के रुख पर कभी चलता नहीं
बचता है रोज ही वो बुराई की राह से
पर बुरे को भी बुरा बताता नहीं
यूँ तो राहे ज़िन्दगी दुश्वार बहुत थी
पर सोजे-पा मंजिल को दिखाता नहीं
देता रहा है सबको वो पैगाम ए दोस्ती
रकीबों से भी नफरत कभी करता नहीं
देखा है जबसे उसने किनारे पे डूब कर
तूफ़ान मे कश्ती पे हँसता नहीं
कट जाये चाहे रोज अनाओं के वास्ते
पर सर को कभी अपने झुकाता नहीं
तेरा ही जिक्र था मेरी हर एक ग़ज़ल में
और होठों पे तेरा नाम भी लाता नहीं
दफन हैं इस दिल में यारों की ज़फाएँ
किस्सा ए दिल किसी को सुनाता नहीं
वो तेज हो तूफाँ या बारिश भी बहुत हो
चरागों को बुझा कर कभी रखता नहीं
लगता है खो गया है खुद में ही इस कदर
किसी को आज कल कही मिलता नहीं
wah janab ,,khub kaha hai apne to,,,
ReplyDeletewah kya bat h...bahot khub...maja aa gaya bhaiya
ReplyDelete