काश, आज हमारा ऑफिस गांव में होता...नाश्ता करके घर से निकलते और खरामा- खरामा टहलते हुए ऑफिस पहुंच जाते जो कि घर से दस कदम की दूरी पर होता। रास्ते में साइकिल से शहर जाते स्कूल के गुरु जी से दुआ- सलाम भी कर लेते। ऑफिस जाकर कुर्सी- टेबल बाहर निकालते और नीम पेड़ के नीचे, गुनगुनी धूप में काम करने बैठ जाते। पास की गुमटी से चूल्हे में लकड़ी जला कर बनाई अदरकवाली चाय भी आ जाती। चाय आती तो साथी भी आ जाते, अखबार भी ले आते। फिर अखबार में छपी दुनिया भर की खबरों पर चर्चा की जाती, सुबह सुने समाचार को “ब्रेकिंग न्यूज” की तरह पेश किया जाता और दिल्ली के लोगों की हंसी उड़ाई जाती कि बेचारे बिना पेट्रोल के ऑफिस नहीं जा पा रहे हैं। काश.....
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office ko to sir ji hum gaun me bna nahi skte hai,,,,but ek chij hai jo hm jarur kar skte ki " office ko hi gaon bna diya jay,,,hmse office hai ,,,hm office se nahi hai,,,,,,,"
ReplyDeletelage raho munnabhai... Banarasi ho to usi per likho... maza aayega.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ब्लाग है।
ReplyDeleteNoida Gutter और शौचालय विकास मंत्री
ReplyDeleteThe Noida NARESH GULLAK
The PravinMasty