फ़रवरी का महीना युवाओ के लिए ही नही सभी के लिए उमंग का महीना होता है|
भूतपूर्व युवा गुलाबी ठंड मे धूप मे बैठने का मज़ा लेते है तो वर्तमान युवा इसे खूबसूरत पर्व की नज़र से देखते है फिर चाहे आप उसे 'बसंत' कहे या 'वेलेंटाइन डे'
(आजकल कुछ अराजक तत्व संस्कृति का नाम लेके इसमे खलन डालने का प्रयास करते है जबकि उन्हे संस्कृति से कोई मतलब नही बस अपनी राजनीति करनी है)
वैसे तो प्यार करने और जताने का कोई 1खास दिन या साप्ताह नही होता किंतु आजकल की व्यस्तता भरे जीवन मे इसकी ज़रूरत बढ़ जाती है|
हिन्दी महीने मे तो बस बसंत ऋतु कह देना ही पर्याप्त होता है क्यूंकी..
भूतपूर्व युवा गुलाबी ठंड मे धूप मे बैठने का मज़ा लेते है तो वर्तमान युवा इसे खूबसूरत पर्व की नज़र से देखते है फिर चाहे आप उसे 'बसंत' कहे या 'वेलेंटाइन डे'
(आजकल कुछ अराजक तत्व संस्कृति का नाम लेके इसमे खलन डालने का प्रयास करते है जबकि उन्हे संस्कृति से कोई मतलब नही बस अपनी राजनीति करनी है)
वैसे तो प्यार करने और जताने का कोई 1खास दिन या साप्ताह नही होता किंतु आजकल की व्यस्तता भरे जीवन मे इसकी ज़रूरत बढ़ जाती है|
हिन्दी महीने मे तो बस बसंत ऋतु कह देना ही पर्याप्त होता है क्यूंकी..