December 25, 2013
December 19, 2013
महाभारत अगर आज होती तो
"गुल्लक का यह पोस्ट आपको तभी समझ आयेगा जब आप महाभारत के पात्रों से परिचित होंगे"
महाभारत यदि आज के समय में हुयी होती तो सीन कुछ इस तरह से होता -
- संजय आँखों देखा हाल सुनाते हुए विज्ञापन भी प्रसारित करते और अरबपति हो जाते.
- "अंधे का पुत्र अँधा" ट्वीट करने के बाद द्रौपदी पर धरा 66A के तहतमुकदमा चलता
- अभिमन्यु को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती कि चक्रव्यूह से निकलना IRCTC पर टिकट कराने से कईं गुणा आसान है
- भीष्म पितामह को बाणों की शैया पर लेटे हुए देख मीडिया वाले पूछते "आपको कैसा लग रहा है"
- आधार कार्ड बनवाने का जब कौरवों का नंबर आता तो बेचारे कार्ड बनाने वालो को मानसिक तनाव की वजह से छुट्टी लेनी पड़ जाती
- द्रौपदी के चीर-हरण का सीधा प्रसारण किया जाता
- दुर्योधन कहता कि द्रौपदी का चीरहरण इसलिए किया गया क्योंकि उसने उसको 'भैया" नहीं कहा
- बेचारे सौ कौरव सिर्फ 9 सस्ते गैस सिलेंडरो की वजह से भूखे मर जाते
- युद्ध की हार-जीत पर अरबों रूपये का सट्टा लगा होता
- चक्रव्यूह से एक दिन पहले सारे न्यूज़ चैनल चक्रव्यूह तोड़ने का तरीका प्रसारित करते
- तथाकथित कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता " कौरवों को इन्साफ दिलवाओ, पांडवों ने पूरे परिवार का नरसंहार किया" के पोस्टर लेकर इंडिया गेट पर बैठे होते
- "हस्तिनापुर पर कौन राज़ करेगा ?" नाम से टीवी कार्यक्रम डेली शॉप की तरह हर रोज़ न्यूज़ चेनलो पर चलता
- भीम का ऑफिशियली वोर्नवीटा से कॉन्ट्रैक्ट होता
- द्रोणाचार्य पर शिक्षा का अधिकार न लागू करने का केस चलता
"यह पोस्ट केवल व्यंग मात्र है इसे पढ़े, हँसे और भूल जाये कृपया दिल पे न लें.. " :)
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December 04, 2013
और मै उसका और वो मेरी हो गयी
मै रोज दुआवो में उसे माँगा करता था एक दिन भगवन आये और बोले "क्या चाहिए तुम्हे"
मैंने भगवान से कहा,"बस उसे मेरी बना दो भगवन"
भगवन बोले ,"ठीक है पर सिर्फ 4 दिन के लिए, वो चार दिन तू बता"
मैंने कहा ठीक है -
'Summer Day'
'Winter Day'
'Rainy Day'
'Spring Day'
भगवान् confused हो गए बोले,"नहीं सिर्फ 3 दिन"
मैंने कहा,"ठीक है -
'Yesterday'
'Today'
'Tomorrow'
भगवन फिर Confused बोले,"नहीं सिर्फ दो दिन .
मैंने कहा ,"ठीक है -
Week Day और Weekend Day"
भगवान् फिर Confused बोले "नहीं सिर्फ 1 दिन"
मैंने कहा -"Everyday"
भगवान हसने लगे और बोले अच्छा बाबा मेरा पीछा छोड़ो।
जब तुम ऊसे ईतना चाहते हो तो भला कौन रोक सकता है।
और तब से मै उसका और वो मेरी हो गयी...
मैंने भगवान से कहा,"बस उसे मेरी बना दो भगवन"
भगवन बोले ,"ठीक है पर सिर्फ 4 दिन के लिए, वो चार दिन तू बता"
मैंने कहा ठीक है -
'Summer Day'
'Winter Day'
'Rainy Day'
'Spring Day'
भगवान् confused हो गए बोले,"नहीं सिर्फ 3 दिन"
मैंने कहा,"ठीक है -
'Yesterday'
'Today'
'Tomorrow'
भगवन फिर Confused बोले,"नहीं सिर्फ दो दिन .
मैंने कहा ,"ठीक है -
Week Day और Weekend Day"
भगवान् फिर Confused बोले "नहीं सिर्फ 1 दिन"
मैंने कहा -"Everyday"
भगवान हसने लगे और बोले अच्छा बाबा मेरा पीछा छोड़ो।
जब तुम ऊसे ईतना चाहते हो तो भला कौन रोक सकता है।
और तब से मै उसका और वो मेरी हो गयी...
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November 29, 2013
हम भारतीयों की 8 खूबियां
1. जब शैंपू की बॉटल खत्म हो जाए तो उसमें पानी डालकर एक बार और शैंपू कर लो.
2. टूथपेस्ट तब तक करो जब तक कि उससे पूरा पेस्ट निचुड़ न जाए.
3. घर के शो केस में चाइना का क्रॉकरी बस मेहमानों को दिखाने के लिए लगाओ.
4. टीवी के रिमोट को रोज पटकेंगे कि काम करे पर उसमें नई बैटरी नहीं लगाएंगे.
5. किसी ने खाने पे बुलाया या शादी, पार्टी है तो उस दिन पूरा दिन भूखा रहेंगे कि वहां जी भर के खा सकें
6. टीशर्ट पुरानी हो जाए तो उसे नाइट ड्रेस बना लो, जब और पुरानी हो जाए तो उसपर होली में रंग खेलो,
और फिर उसका पोछा बना लो…
7. डॉमिनोज वाले से एक एक्स्ट्रा केचप मांगो ताकि बाद में उसे खा सकें…
और सबसे जरूरी है..
8. पानी पूरी खाकर पैसे दे देने के बाद फ्री सूखा मांगना हमारा हक है…
2. टूथपेस्ट तब तक करो जब तक कि उससे पूरा पेस्ट निचुड़ न जाए.
3. घर के शो केस में चाइना का क्रॉकरी बस मेहमानों को दिखाने के लिए लगाओ.
4. टीवी के रिमोट को रोज पटकेंगे कि काम करे पर उसमें नई बैटरी नहीं लगाएंगे.
5. किसी ने खाने पे बुलाया या शादी, पार्टी है तो उस दिन पूरा दिन भूखा रहेंगे कि वहां जी भर के खा सकें
6. टीशर्ट पुरानी हो जाए तो उसे नाइट ड्रेस बना लो, जब और पुरानी हो जाए तो उसपर होली में रंग खेलो,
और फिर उसका पोछा बना लो…
7. डॉमिनोज वाले से एक एक्स्ट्रा केचप मांगो ताकि बाद में उसे खा सकें…
और सबसे जरूरी है..
8. पानी पूरी खाकर पैसे दे देने के बाद फ्री सूखा मांगना हमारा हक है…
"मित्रो अगर आप कोई और जोड़ना चाहे तो निचे दिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करे|"
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November 20, 2013
21 वीं सदी का गीतासार
क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो?
कौन तुम्हारी गर्लफ्रेंड को छीन सकता है?
गर्लफ्रेंड न पैदा होती है और न मरती है
वो तो बस बॉयफ्रेंड बदलती है ।।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है,वह अच्छा हो रहा है,
जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।
तुम पिछली गर्लफ्रेंड के छोड़ के जाने का पश्चाताप न करो।
आने वाली गर्लफ्रेंड की चिन्ता न करो।
अभी तुम्हारे पास जो है उसी के साथ आनंद मनाओ ।।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया?
न तुम कुछ लेकर आए , जो लिया यही से लिया।
जो दिया, यहीं पर दिया।
जो लिया, गर्लफ्रेंड से लिया जो दिया, गर्लफ्रेंड को दिया ।।
खाली हाथ आए और खाली हाथ चले।
जो गर्लफ्रेंड आज तुम्हारी है, कल किसी और की थी ,
परसों किसी और की होगी । तुम इसे अपना समझ
कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम गर्लफ्रेंड
का छोड़ के जाना समझते हो, वही तो जीवन है।
एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो,
दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो।।
मेरी -तेरी , छोटी -बड़ी , अपना-पराया, गोरी-काली मन से मिटा दो,
फिर सब तुम्हारी है, तुम सबके हो।।
कौन तुम्हारी गर्लफ्रेंड को छीन सकता है?
गर्लफ्रेंड न पैदा होती है और न मरती है
वो तो बस बॉयफ्रेंड बदलती है ।।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है,वह अच्छा हो रहा है,
जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।
तुम पिछली गर्लफ्रेंड के छोड़ के जाने का पश्चाताप न करो।
आने वाली गर्लफ्रेंड की चिन्ता न करो।
अभी तुम्हारे पास जो है उसी के साथ आनंद मनाओ ।।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया?
न तुम कुछ लेकर आए , जो लिया यही से लिया।
जो दिया, यहीं पर दिया।
जो लिया, गर्लफ्रेंड से लिया जो दिया, गर्लफ्रेंड को दिया ।।
खाली हाथ आए और खाली हाथ चले।
जो गर्लफ्रेंड आज तुम्हारी है, कल किसी और की थी ,
परसों किसी और की होगी । तुम इसे अपना समझ
कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम गर्लफ्रेंड
का छोड़ के जाना समझते हो, वही तो जीवन है।
एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो,
दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो।।
मेरी -तेरी , छोटी -बड़ी , अपना-पराया, गोरी-काली मन से मिटा दो,
फिर सब तुम्हारी है, तुम सबके हो।।
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November 16, 2013
मेरा चुनावी घोषणापत्र (My Election Manifesto)
युवाओं की असल समस्याओं को देखते हुए आइंदा चुनावों के मद्देनजर मैंने एक घोषणापत्र तैयार किया है, जिसे कोई भी पार्टी बेहिचक इस्तेमाल कर सकती है।
मुलाहिजा फरमाएं : हम यंग-दबंग पार्टी महसूस करते हैं कि देश के नौजवानों के सामने असली चुनौती रोटी, कपड़ा या मकान की नहीं, बल्कि 4,575 किस्म के दोस्त-रिश्तेदारों द्वारा फेसबुक पर टैग किए जाने की है। हम जानते हैं कि मौका मिले, तो आज का युवा अमरूद के पेड़ से लीची तोड़कर ला सकता है, मगर वह बेचारा नहीं जानता कि जिस शख्स ने अपने बच्चे के मुंडन के फोटुओं में उसे टैग किया है, जिस आंटी ने घर पर हुई सत्यनारायण कथा की फोटुओं में उसे लटका दिया है, उसका वह क्या करे? लिहाजा हम वायदा करते हैं कि अगर हम सत्ता में आए, तो फेसबुक टैगिंग को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में डाल दिया जाएगा और दोषी शख्स को ताउम्र दूसरों के फोटुओं में टैग होने और उन पर कमेंट करने की सजा सुनाई जाएगी। भले ही वह तस्वीर किसी दोस्त की बुआ के जेठ के लड़के की ही क्यों न हो।
हम जानते हैं कि पुरानी पीढ़ी को जो सुकून हरिओम शरण के भजन सुनने में मिलता था, नई पीढ़ी को उसी परमानंद की प्राप्ति स्मार्टफोन की चार्ज बैटरी देखकर होती है। मगर साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों की घटती तादाद से ज्यादा वह यह सोचकर परेशान रहता है कि स्मार्टफोन की बैटरी आखिर इतनी जल्दी डिस्चार्ज क्यों हो जाती है? वह आज तक यह समझ नहीं पाया कि जो कंपनी तीस हजार रुपये का मोबाइल बनाने में इतना खर्चा करती है, वह दस-बीस रुपये और लगाकर चार्जर के तार को लंबा भी तो कर सकती थी।
दोस्तों, हम वायदा करते हैं कि अगर हम सत्ता में आए, तो स्मार्टफोन की बैटरी की क्षमता बढ़ाने और चार्जर के तार को लंबा कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम छेड़ेंगे। इसके अलावा हम शर्मीले लड़कों के लिए कॉलेज में गर्लफ्रेंड पटाने में 20 फीसदी आरक्षण और चटोरी लड़कियों के लिए गोल गप्पे वाले भइया से आखिर में एक की बजाय दो मुफ्त गोल गप्पे दिलवाने का भी भरोसा देते हैं।
Source: Neeraj Badhwaar in Live Hindustan
मुलाहिजा फरमाएं : हम यंग-दबंग पार्टी महसूस करते हैं कि देश के नौजवानों के सामने असली चुनौती रोटी, कपड़ा या मकान की नहीं, बल्कि 4,575 किस्म के दोस्त-रिश्तेदारों द्वारा फेसबुक पर टैग किए जाने की है। हम जानते हैं कि मौका मिले, तो आज का युवा अमरूद के पेड़ से लीची तोड़कर ला सकता है, मगर वह बेचारा नहीं जानता कि जिस शख्स ने अपने बच्चे के मुंडन के फोटुओं में उसे टैग किया है, जिस आंटी ने घर पर हुई सत्यनारायण कथा की फोटुओं में उसे लटका दिया है, उसका वह क्या करे? लिहाजा हम वायदा करते हैं कि अगर हम सत्ता में आए, तो फेसबुक टैगिंग को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में डाल दिया जाएगा और दोषी शख्स को ताउम्र दूसरों के फोटुओं में टैग होने और उन पर कमेंट करने की सजा सुनाई जाएगी। भले ही वह तस्वीर किसी दोस्त की बुआ के जेठ के लड़के की ही क्यों न हो।
हम जानते हैं कि पुरानी पीढ़ी को जो सुकून हरिओम शरण के भजन सुनने में मिलता था, नई पीढ़ी को उसी परमानंद की प्राप्ति स्मार्टफोन की चार्ज बैटरी देखकर होती है। मगर साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों की घटती तादाद से ज्यादा वह यह सोचकर परेशान रहता है कि स्मार्टफोन की बैटरी आखिर इतनी जल्दी डिस्चार्ज क्यों हो जाती है? वह आज तक यह समझ नहीं पाया कि जो कंपनी तीस हजार रुपये का मोबाइल बनाने में इतना खर्चा करती है, वह दस-बीस रुपये और लगाकर चार्जर के तार को लंबा भी तो कर सकती थी।
दोस्तों, हम वायदा करते हैं कि अगर हम सत्ता में आए, तो स्मार्टफोन की बैटरी की क्षमता बढ़ाने और चार्जर के तार को लंबा कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम छेड़ेंगे। इसके अलावा हम शर्मीले लड़कों के लिए कॉलेज में गर्लफ्रेंड पटाने में 20 फीसदी आरक्षण और चटोरी लड़कियों के लिए गोल गप्पे वाले भइया से आखिर में एक की बजाय दो मुफ्त गोल गप्पे दिलवाने का भी भरोसा देते हैं।
Source: Neeraj Badhwaar in Live Hindustan
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November 01, 2013
October 25, 2013
मेरी यादों में मन्ना डे - a sweet memory from childhood
आज मन्ना डे के निधन कि खबर पढ़ते ही मन 15 साल पीछे चला गया |
बात उस ज़माने की है जब करीब 10-11 साल का था उन दिनों फिल्म देखने का एक मात्र साधन दूरदर्शन हुआ करता था और गाने सुनने के लिए रेडिओ उसी दौरान मैंने फिल्म देखि पड़ोसन और मै महमूद साहब का मुरीद हो गया खास तौर पे उनके गाये गाने "एक चत्तुरनार" बेहद पसंद था जब भी रंगोली या चित्रहार में ये गाना आता तो मै मिस नही करना चाहता था, कुछ ही दिनों बाद मैंने फिल्म आनंद का गाना "जिंदगी कैसी है पहेली हाये" देखा तो सोचा की राजेश खन्ना और महमूद की आवाज कितनी मिलती जुलती है|
बातों बातों में जब ये बात मैंने अपने नानाजी के सामने कह दीया तब उन्होंने मुझे बताया कि असल में ये लोग सिर्फ होंठ हिलाते इसके पीछे आवाज किसी और की होती है जिसे गायक कहा जाता है और इन गानों को जिसने गया है वो है -
"मन्ना डे" फिर उन्होंने मुझे इनके 2 - 4 गाने और दिखाए जो अलग अलग हीरो पे फिल्माए गये थे और थोडा बहुत अपनी जानकारी के अनुसार उन्होंने मुझे 'मन्ना डे जी' के बारे में बताया|
उस दिन मुझे 2 बाते पता चली कि परदे पर हीरो सिर्फ होंठ हिलाते है और जितने भी सुरीले अच्छे गाने है उनको मन्ना डे गाते है|
हलाकि आगे चल के मेरा ये भ्रम टूट गया लेकिन फिर भी मन्ना डे साहब के लिए दिल सॉफ्ट जगह हमेशा रही, उनकी खासियत थी कि वो कभी किसी हीरो कि आवाज नही बने उन्होंने कभी एक्टर के नहीं लिए बल्कि उसके द्वारा निभाए जाने वाले किरदार के लिए गाया इसीलिए उनकी आवाज सभी पर फिट बैठ जाती थी |
यह बहुत दुख की घड़ी तो जरूर है कि वो अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन मन्ना डे एक भरी-पूरी उम्र जी कर गए और हमारी भारतीय परंपरा है कि जो इंसान सब कुछ देख कर जाता है, उसके जाने का अफसोस नहीं मनाया जाता। फिर मन्ना डे तो इतना कुछ हासिल किया कि कोई एक जन्म में इतना कुछ पा ही नहीं सकता। नेशनल अवार्ड, पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के अवार्ड और भी न जाने क्या-क्या। लोग उन्हें मिस करेंगे, फिल्म इंडस्ट्री भी उन्हें मिस करेगी लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे जेहन में रहेंगी। जो गाने वह गा गए वह कभी भी भुलाए नहीं जा सकेंगे और उनकी आवाज जब भी गूंजेगी वह सुकून ही देगी।
October 22, 2013
आवश्यकता है एक गर्ल फ्रेंड की.
पद : जूनियर गर्लफ्रेंड/ सहायक प्रेमिका
अनुभव : कम से कम दो लडको की गर्ल फ्रेंड रह
चुकी हो, तथा गर्ल फ्रेंड के
सभी दायित्वों में पारंगत हो !
(अगर अन्य अहर्ताये पूरी हो तो फ्रेशेर/ कम
अनुभव वाली पर भी विचार किया का सकता है )
आयु : 18-25 वर्ष (अगर कोई लड़की/महिला दीखने
में अच्छी है , और ज्यादा उम्र होने के
वावजूद इसी उम्र की लगती हो , तो वह अप्लाई
कर सकती है)
लाभ तथा मानदेय :- सकल मासिक (Gross Monthly)
• 1 उपहार प्रति महिना (अधिकतम मूल्य Rs 1000)
– (कोई मूल्यवान धातु जैसे सोना,
चांदी या बहुमूल्य रत्न जैसे
हीरा इत्यादि की अपेक्षा न रखे)
• लक्ज़री बाइक में मुफ्त सवारी , (अधिकतम १
घंटा प्रतिदिन).
• कुल्फी / आइसक्रीम/ चोकलेट , प्रतिदिन
• प्रतिदिन Rs 50-100 के समकक्ष मुफ्त
नाश्ता जैसे समोसा / ब्रेड पकोड़ा इत्यादि
• मुफ्त मूवी (ऊपर कोने वाली सीट पर ) हर
रविवार !
• महीने में एक बार मुफ्त ‘’ब्रांडेड जीन्स /
टी-शर्ट ‘’ अथवा ‘’स्कर्ट / टॉप ‘’
अथवा ‘’डिज़ाइनर परिधान’’ पसंदानुसार (लेकिन
पिछले महीने का आचरण संतोष जनक होने पर
ही यह सुविधा उपलब्ध है )
• मिस्ड कॉल मरने के लिए , फ़ोन चालू रखने
हेतु Rs 100 का रिचार्ज प्रति महिना !
प्रतिवर्ष एक नवीनतम स्मार्ट फ़ोन , जैसे
IPHONE या Galaxy S4 , दिया जायेगा, तथा ऊपर
लिखी सभी सुविधाए अनलिमिटेड रूप से
प्राप्त होंगी!
स्थायी होने के बाद वर्ष में दो बार
हीरा या सोना के जवाहरात दिए जायेंगे !
जो लडकियाँ इस ऑफर के लिए अपने
आपको उपयुक्त नहीं मानती है ,
उन्हें मन छोटा करने की कोई जरूरत नहीं है !
वो ‘’Suggest a friend” सुविधा का लाभ उठा कर
अपनी सहेलियों को Suggest कर सकती है।
प्रत्येक सफल उन्हें फाइव स्टार होटल में लंच
अथवा कैंडल लाइट डिनर , उपहार /
कृतज्ञता स्वरुप कराया जायेगा !
कृपया इस विज्ञापन के पांच दिनों के अन्दर
अपना बायो-.
डाटा के साथ आवेदन करे !
(बिना फोटो कोई आवेदन स्वीकार
नहीं किया जायेगा)
नोट-हमारी कोई शाखा नही...
अनुभव : कम से कम दो लडको की गर्ल फ्रेंड रह
चुकी हो, तथा गर्ल फ्रेंड के
सभी दायित्वों में पारंगत हो !
(अगर अन्य अहर्ताये पूरी हो तो फ्रेशेर/ कम
अनुभव वाली पर भी विचार किया का सकता है )
आयु : 18-25 वर्ष (अगर कोई लड़की/महिला दीखने
में अच्छी है , और ज्यादा उम्र होने के
वावजूद इसी उम्र की लगती हो , तो वह अप्लाई
कर सकती है)
लाभ तथा मानदेय :- सकल मासिक (Gross Monthly)
• 1 उपहार प्रति महिना (अधिकतम मूल्य Rs 1000)
– (कोई मूल्यवान धातु जैसे सोना,
चांदी या बहुमूल्य रत्न जैसे
हीरा इत्यादि की अपेक्षा न रखे)
• लक्ज़री बाइक में मुफ्त सवारी , (अधिकतम १
घंटा प्रतिदिन).
• कुल्फी / आइसक्रीम/ चोकलेट , प्रतिदिन
• प्रतिदिन Rs 50-100 के समकक्ष मुफ्त
नाश्ता जैसे समोसा / ब्रेड पकोड़ा इत्यादि
• मुफ्त मूवी (ऊपर कोने वाली सीट पर ) हर
रविवार !
• महीने में एक बार मुफ्त ‘’ब्रांडेड जीन्स /
टी-शर्ट ‘’ अथवा ‘’स्कर्ट / टॉप ‘’
अथवा ‘’डिज़ाइनर परिधान’’ पसंदानुसार (लेकिन
पिछले महीने का आचरण संतोष जनक होने पर
ही यह सुविधा उपलब्ध है )
• मिस्ड कॉल मरने के लिए , फ़ोन चालू रखने
हेतु Rs 100 का रिचार्ज प्रति महिना !
प्रतिवर्ष एक नवीनतम स्मार्ट फ़ोन , जैसे
IPHONE या Galaxy S4 , दिया जायेगा, तथा ऊपर
लिखी सभी सुविधाए अनलिमिटेड रूप से
प्राप्त होंगी!
स्थायी होने के बाद वर्ष में दो बार
हीरा या सोना के जवाहरात दिए जायेंगे !
जो लडकियाँ इस ऑफर के लिए अपने
आपको उपयुक्त नहीं मानती है ,
उन्हें मन छोटा करने की कोई जरूरत नहीं है !
वो ‘’Suggest a friend” सुविधा का लाभ उठा कर
अपनी सहेलियों को Suggest कर सकती है।
प्रत्येक सफल उन्हें फाइव स्टार होटल में लंच
अथवा कैंडल लाइट डिनर , उपहार /
कृतज्ञता स्वरुप कराया जायेगा !
कृपया इस विज्ञापन के पांच दिनों के अन्दर
अपना बायो-.
डाटा के साथ आवेदन करे !
(बिना फोटो कोई आवेदन स्वीकार
नहीं किया जायेगा)
नोट-हमारी कोई शाखा नही...
October 09, 2013
रोटी दोगी क्या?
एक घर के सामने सडक बन रही थी,
गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.
बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.
बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!
कुत्ते का ध्यान नही रोटी की तरफ जरा था,
शायद उसका पेट पूरा भरा था!
ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-
कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?
माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस.
माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.
बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
और धीरे से रोटी को अपनी तरफ खींचा!
कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!
कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है..!!
—————
कितनी अजीब बात है कि हम अपने मित्रों और रिश्तेदारों को ( जिनके पेट पूरे भरे होते हैं और जो प्लेट मे रखा नाश्ता जूठा करके छोड देते हैं या चाय मे जरा सी चीनी कम या ज्यादा होने पर मीन मेख निकालते हैं!) बुला बुला कर खिलाते हैं लेकिन किसी गरीब को देते वक्त हमे तुरन्त ये खयाल आता है कि दो दिन मुफ्त मे खा लेगा तो इसे आदत हो जायेगी.
गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे,
दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे.
बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
देखी, घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी.
बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली,
लेकिन मालकिन ने रोटी, पालतू कुत्ते की तरफ उछाली.
कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी,
और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी!
कुत्ते का ध्यान नही रोटी की तरफ जरा था,
शायद उसका पेट पूरा भरा था!
ये देख कर बच्चा गया माँ के पास,
भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
बोला- माँ! क्या रोटी मै उठा लूँ?
तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया,
बाद मे मन मे ये खयाल किया कि-
कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा?
माँ के मन मे खूब हुई कशमकश,
लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस.
माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया,
बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया.
बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा,
और धीरे से रोटी को अपनी तरफ खींचा!
कुत्ता ये देखकर बिल्कुल नही चौंका!
चुपचाप देखता रहा! जरा भी नही भौंका!!
कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है..!!
—————
कितनी अजीब बात है कि हम अपने मित्रों और रिश्तेदारों को ( जिनके पेट पूरे भरे होते हैं और जो प्लेट मे रखा नाश्ता जूठा करके छोड देते हैं या चाय मे जरा सी चीनी कम या ज्यादा होने पर मीन मेख निकालते हैं!) बुला बुला कर खिलाते हैं लेकिन किसी गरीब को देते वक्त हमे तुरन्त ये खयाल आता है कि दो दिन मुफ्त मे खा लेगा तो इसे आदत हो जायेगी.
October 04, 2013
घाटों का शहर बनारस
विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनारस जिसके बारे में कहा जाता है कि -
"सांड, सीढ़ी, सन्यासी, यहाँ विराजे बाबा विश्वनाथ अविनाशी"
बनारस का नाम वाराणसी कब और कैसे पड़ा ये तो पता नही लेकिन मेरा अनुमान है वरुणा और अस्सी को मिलाके इसका नाम वाराणसी रखा गया होगा क्युकि घाटो का शहर बनारस में घाटो कि गिनती वरुणा से अस्सी तक ही होती है जो लगभग 100 के आस पास है |यु तो हर घाट का अपना महत्व, अपनी परम्परा अलग अलग है पर कुछ चीज़े एक समान ही है जैसे -
सीढियों पे बैठे 'सांड बाबा' मंत्री आये या बम्म फूटे सांड बाबा टस से मस नही होते उनकी जब मर्जी होगी तभी रास्ता देंगे, आप उनके उपर से गुजर जाये कोई फर्क नही बस वो मूड में न हो तो..
उन्ही के बगल में ध्यान लगाये बैठे संन्यासी महाराज ऐसे बैठे मिलेंगे जैसे परमात्मा स्वयं इनसे मिलने आने ही वाले है रस्ते में देर हो रही होगी, भभूती, योग, ध्यान देखकर आप भ्रमित हो सकते है कि "कही मै हिमालय में तो नहीं!!"
और अपनी उम्र से अधिक भाषाओ के जानकार बच्चे जो दिखने में मैले कुचले लेकिन तजुर्बा और खुद पर भरोसा इतना कि मिटटी को सोना बताकर बेच दे और बड़े बड़े मार्केटिंग मेनेजर उनके पैर छू के वापस आजाये |
एक अलग ही दुनिया बसी है घाटो के किनारे जो सारी दुनिया से अलग ही लगती है जिसको जितना समझने कि कोशिश करो उतना उलझ जाती है |
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों(लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है, और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"
वाराणसी में अस्सी घाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी घाटों सूची इस प्रकार से है:
- अस्सी घाट
- गंगामहल घाट
- रीवां घाट
- तुलसी घाट
- भदैनी घाट
- जानकी घाट
- माता आनंदमयी घाट
- जैन घाट
- पंचकोट घाट
- प्रभु घाट
- चेतसिंह घाट
- अखाड़ा घाट
- निरंजनी घाट
- निर्वाणी घाट
- शिवाला घाट
- गुलरिया घाट
- दण्डी घाट
- हनुमान घाट
- प्राचीन हनुमान घाट
- मैसूर घाट
- हरिश्चंद्र घाट
- लाली घाट
- विजयानरम् घाट
- केदार घाट
- चौकी घाट
- क्षेमेश्वर घाट
- मानसरोवर घाट
- नारद घाट
- राजा घाट
- गंगा महल घाट
- पाण्डेय घाट
- दिगपतिया घाट
- चौसट्टी घाट
- राणा महल घाट
- दरभंगा घाट
- मुंशी घाट
- अहिल्याबाई घाट
- शीतला घाट
- प्रयाग घाट
- दशाश्वमेघ घाट
- राजेन्द्र प्रसाद घाट
- मानमंदिर घाट
- त्रिपुरा भैरवी घाट
- मीरघाट घाट
- ललिता घाट
- मणिकर्णिका घाट
- सिंधिया घाट
- संकठा घाट
- गंगामहल घाट
- भोंसलो घाट
- गणेश घाट
- रामघाट घाट
- जटार घाट
- ग्वालियर घाट
- बालाजी घाट
- पंचगंगा घाट
- दुर्गा घाट
- ब्रह्मा घाट
- बूँदी परकोटा घाट
- शीतला घाट
- लाल घाट
- गाय घाट
- बद्री नारायण घाट
- त्रिलोचन घाट
- नंदेश्वर घाट
- तेलिया- नाला घाट
- नया घाट
- प्रह्मलाद घाट
- रानी घाट
- भैंसासुर घाट
- राजघाट
- आदिकेशव या वरुणा संगम घाट
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September 20, 2013
क्या है कंप्यूटर वायरस और कैसे बचें इसके अटैक से
दोस्तों आज हमारी जिंदगी का अहम् हिस्सा बन चुका है कंप्यूटर और कंप्यूटर अधुरा है जब तक इन्टरनेट न हो और जो लोग इन्टरनेट इस्तेमाल करते है उन्हें कंप्यूटर वायरस से दो - चार होना ही पड़ता है, लेकिन यदि हम जरा सा सतर्कता बरते तो काफी हद तक बचा जा सकता है इस वायरस नाम के बला से, कैसे? आईये जानने का प्रयास करते है|
कंप्यूटर वायरस/मालवेयर एक प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो आपके कंप्यूटर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस सॉफ्टवेयर को हैकर्स कंप्यूटर से पर्सनल डाटा चोरी करने के लिए डिजाइन करते हैं।
हैकर्स की भाषा में मालवेयर टर्म का यूज वायरस, स्पाय वेयर और वार्म आदि के लिए किया जाता है। ये तीनों वायरस के ही रूप हैं।
मालवेयर आपकी निजी फाइलों तक पहुंचकर उन्हें दूसरी किसी डिवाइस में ट्रांसफर कर सकता है। इसके जरिए हैकर्स आपकी सूचनाएं, फोटो, वीडियो, बैंक या अकाउंट से जुड़ी जानकारी चुरा सकते हैं।
मालवेयर अटैक के कारण
कंप्यूटर पर मालवेयर अटैक के कई कारण हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इंटरनेट से की जाने वाली डाउनलोडिंग है। आप जितनी ज्यादा डाउनलोडिंग करेंगे उतना ही ज्यादा मालवेयर का खतरा होता है।
इंटरनेट से हम जो कंटेंट, पिक्चर, वीडियो या गाने आदि लेते है, उनके जरिए मालवेयर के वायरस बड़ी आसानी से हमारे सिस्टम तक आ जाते हैं।
कई बार कंप्यूटर में लगाई जाने वाली रिमूवेबल डिवाइस भी मालवेयर की वजह बन जाती है। यदि आपने ऐसी कोई पेन ड्राइव या मेमोरी कार्ड अपने सिस्टम में लगाया, जिसमें पहले से वायरस है, तो यह आपके सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकता है।
वायरस से बचाव के तरीके
- गानें या पिक्चर आदि की डाउनलोडिंग केवल विश्वसनीय वेबसाइट से ही करें। हो सकता है इसके लिए आपको कुछ पैसे देने पड़े लेकिन यह आपके सिस्टम के लिए अच्छा रहेगा।
- यदि आपके सिस्टम में एंटी मालवेयर या एंटी वायरस नहीं है तो इसे तुरंत इंस्टॉल कराएं।
- अपने सिस्टम के एंटी वायरस को समय-समय पर अपडेट करते रहें। इससे यह भी पता चलता रहेगा कि एंटी वायरस ठीक काम कर रहा है या नहीं।
- अपने महत्वपूर्ण डाटा को पासवर्ड से सुरक्षित रखें, ताकि इसे चुराना या हैक करना आसान न हो। जो पासवर्ड आपने सेट किया है, उसमें अंक और अक्षर दोनों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- अपने पीसी में फायरवॉल इंस्टॉल करें। फायरवॉल कंप्यूटर और इंटरनेट के बीच सुरक्षा दीवार की तरह काम करता है। इसे हमेशा ऑन रखें।
दोस्तों यदि आप भी लिखने का शौक रखते है या फिर कोई जानकारी गुल्लक के पाठको तक पहुचाना चाहते है तो आप सादर आमंत्रित है 'गेस्ट पोस्ट' के लिए..
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September 07, 2013
क्या है मोबाइल फोन टेक्नोलॉजी GSM, CDMA, 2G, 3G, 4G?
फोन पर नेटवर्क की बात होते ही आजकल 2G, 3G, और 4G की बात होने लगती है. फोन के सिग्नल को रिसीव करने वाले मोबाइल सेटों में भी मॉडल को इससे जाना जाने लगा है.
कभी जीएसएम, सीडीएमए सिग्नल वाले मोबाइल फोन ही लोगों को समझ में आते थे. जीएसएम सिग्नलों वाले मोबाइल की बहार होती थी. सीडीएमए सेट भी लोगों की पसंद बनें. सीडीएमए तकनीक में आपका फोन ही वायरलेस डेटा या सिग्नल का रिसीवर होता है. बाकी फोन्स में इसके लिए सिम की जरूरत पड़ती है.
पहले समझ लेते हैं कि पहले इनके पूरे अर्थ क्या हैं -
जीएसएम: ग्लोबल स्टैंडर्ड फॉर मोबाइल्स (ये एक तकनीक है).
सीडीएमए: कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस (ये भी एक तकनीक है).
2G: जीएसएम सेवा ही बाद में 2G के तौर पर विकसित हुई. जिसमें जीपीआरएस और एज सर्विस (EDGE) के जरिए पैकेट डेटा की सुविधा मिलने लगी. जिससे आप किसी भी मोबाइल पर मेल और इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. 2G, 3G और 4G सेवा का मतलब है कि आपके फोन पर बातचीत और एसएमएस के अलावा डेटा संबंधित सारी सुविधाओं के लिए डेटा रिसीव करने की तकनीक. G का अर्थ है जेनेरेशन. इसलिए 2जी का ज्यादा विकसित रूप 3जी और इससे ज्यादा उन्नत 4जी.
फोन पर बातचीत की सुविधा के लिए सिग्नल या फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल के शुरूआती समय में पीटीटी(पुश टू टॉक) या एमटीएस(मोबाइल टेलीफोन सिस्टम) तकनीक का इस्तेमाल होता था. जब तक एनालॉग सिग्नल पर फोन चलता रहा, तब तक इसे 1G तकनीक के नाम से भी जाना गया. 1G और 2G का मुख्य अंतर था मोबाइल संचार का एनालॉग से डिजीटल होना.
1G तकनीक में गति की सीमा 28 किलोबिट/सेकेंड से 56 किलोबिट/सेकेंड थी. जापान की एनटीटी कंपनी ने 1G को पहली बार व्यावसायिक तौर पर 1979 में लॉन्च किया. 2G यानि सेकेंड जेनेरेशन वायरलेस टेलीफोन टेक्नोलॉजी में खासियत थी कि इसी से मोबाइल में डेटा सर्विस की शुरूआत हुई. सबसे बड़ा बदलाव था 2G सेवा से ही एसएमएस (SMS) सेवा की शुरूआत. 2जी में डेटा डिजिटल इन्क्रिप्शन शुरू होने से टेक्स्ट मैसेज भेजा जाना संभव हुआ. जो बाद में फोटो मैसेज और एमएमएस(MMS) भेजने तक पहुंचा. 3जी सेवा में डेटा की सेवा को 200 किलोबिट/ सेकेंड तक जा पहुंची. इस मोबाइल संचार सेवा से जरिए किसी भी फोन पर इंटरनेट एक्सेस ज्यादा तेज, वीडियो कॉलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मोबाइल टीवी सुविधा मिलने लगी.
जापान में ही एनटीटी और डोकोमो ने 3जी को पहली बार लॉन्च किया था. 4G मोबाइल सेवा में मोबाइल वेब एक्सेस, ऑनलाइन गेम खेलने के लिए उन्नत डेटा रिसीविंग, एचडी टीवी, और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी.
4जी की शुरूआत 2006 में दक्षिण कोरिया के मोबाइल वाइमैक्स स्टैंडर्ड से हुई. इसके बाद 2009 में ओस्लो, नार्वे, स्टॉकहोम और स्वीडन में लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन(एलटीई) जारी किया गया. 4 जी सेवा के मानकों के अनुसार इसमें डेटा फ्लो 100 मेगाबिट पर सेकेंड होना चाहिए.
भारत में जल्द ही 4G सेवा बड़े तौर पर शुरु होने वाली है.
कभी जीएसएम, सीडीएमए सिग्नल वाले मोबाइल फोन ही लोगों को समझ में आते थे. जीएसएम सिग्नलों वाले मोबाइल की बहार होती थी. सीडीएमए सेट भी लोगों की पसंद बनें. सीडीएमए तकनीक में आपका फोन ही वायरलेस डेटा या सिग्नल का रिसीवर होता है. बाकी फोन्स में इसके लिए सिम की जरूरत पड़ती है.
पहले समझ लेते हैं कि पहले इनके पूरे अर्थ क्या हैं -
जीएसएम: ग्लोबल स्टैंडर्ड फॉर मोबाइल्स (ये एक तकनीक है).
सीडीएमए: कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस (ये भी एक तकनीक है).
2G: जीएसएम सेवा ही बाद में 2G के तौर पर विकसित हुई. जिसमें जीपीआरएस और एज सर्विस (EDGE) के जरिए पैकेट डेटा की सुविधा मिलने लगी. जिससे आप किसी भी मोबाइल पर मेल और इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. 2G, 3G और 4G सेवा का मतलब है कि आपके फोन पर बातचीत और एसएमएस के अलावा डेटा संबंधित सारी सुविधाओं के लिए डेटा रिसीव करने की तकनीक. G का अर्थ है जेनेरेशन. इसलिए 2जी का ज्यादा विकसित रूप 3जी और इससे ज्यादा उन्नत 4जी.
फोन पर बातचीत की सुविधा के लिए सिग्नल या फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल के शुरूआती समय में पीटीटी(पुश टू टॉक) या एमटीएस(मोबाइल टेलीफोन सिस्टम) तकनीक का इस्तेमाल होता था. जब तक एनालॉग सिग्नल पर फोन चलता रहा, तब तक इसे 1G तकनीक के नाम से भी जाना गया. 1G और 2G का मुख्य अंतर था मोबाइल संचार का एनालॉग से डिजीटल होना.
1G तकनीक में गति की सीमा 28 किलोबिट/सेकेंड से 56 किलोबिट/सेकेंड थी. जापान की एनटीटी कंपनी ने 1G को पहली बार व्यावसायिक तौर पर 1979 में लॉन्च किया. 2G यानि सेकेंड जेनेरेशन वायरलेस टेलीफोन टेक्नोलॉजी में खासियत थी कि इसी से मोबाइल में डेटा सर्विस की शुरूआत हुई. सबसे बड़ा बदलाव था 2G सेवा से ही एसएमएस (SMS) सेवा की शुरूआत. 2जी में डेटा डिजिटल इन्क्रिप्शन शुरू होने से टेक्स्ट मैसेज भेजा जाना संभव हुआ. जो बाद में फोटो मैसेज और एमएमएस(MMS) भेजने तक पहुंचा. 3जी सेवा में डेटा की सेवा को 200 किलोबिट/ सेकेंड तक जा पहुंची. इस मोबाइल संचार सेवा से जरिए किसी भी फोन पर इंटरनेट एक्सेस ज्यादा तेज, वीडियो कॉलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मोबाइल टीवी सुविधा मिलने लगी.
जापान में ही एनटीटी और डोकोमो ने 3जी को पहली बार लॉन्च किया था. 4G मोबाइल सेवा में मोबाइल वेब एक्सेस, ऑनलाइन गेम खेलने के लिए उन्नत डेटा रिसीविंग, एचडी टीवी, और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी.
4जी की शुरूआत 2006 में दक्षिण कोरिया के मोबाइल वाइमैक्स स्टैंडर्ड से हुई. इसके बाद 2009 में ओस्लो, नार्वे, स्टॉकहोम और स्वीडन में लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन(एलटीई) जारी किया गया. 4 जी सेवा के मानकों के अनुसार इसमें डेटा फ्लो 100 मेगाबिट पर सेकेंड होना चाहिए.
भारत में जल्द ही 4G सेवा बड़े तौर पर शुरु होने वाली है.
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September 04, 2013
बलात्कारी बाबा..आशाराम हे राम!
हे राम! आशाराम जमीनों का अतिक्रमण लड़कियों का यौनशोषण, भ्रष्ट तरीकों से पैसा कमाना, आस्था के नाम पर भावनाओं से खिलवाड़ क्या ऐसे होते हैं बाबा सभी अपने नैनो को खोले चंगुल से आज़ाद हो जाओ कि कहीं अगला नंबर आपका ना हो क्या हमें जरूरत है ऐसे डोंगी की जाना है तो नारायण की शरण में जाओ शिव की शरण में जाओ और अपना जीवन सफल बनाओ हमारे पास ज्ञान के लिये गीता है वेद है फिर भी हम बाबाओ के जाल में कैसे फंस जाते है दुनिया को मोहमाया से मुक्त होने का संदेश देने वाला खुद समधी का बहाना बना कर पुलिस से बचना चाह रहा है क्या बहाना लगाया है पुलिस से बचने का !
ये बापू और वो बापू गुजरात की ही धरती पर के दो अलग अलग उदाहरण एक बेचारी नाबालिक लड़की के साथ जिसका सारा परिवार इसको भगवान मानता हो लड़की के पिता ने अपनी जमीन आश्रम के लिये दे दी हो वो ही बाप आज कानून का दरवाज़ा खटखता रहा है सी बी आई की जांच की मांग करता है और कह रहा है अगर पिता गलत है तो फाँसी दे दो नही तो बाबा को अंधविश्वास को समाज मे फ़ैलाने बाला लोगों को बहकाने वाला आज बाबा बना बेठा है और अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम चलाने वाले दाभोलकर जैसे समाजसुधारो को मौत के घाट उतार दिया जाता है और पुलिस उन हत्यारो को पकड भी नही पाती क्योंकि हिन्दुस्तान की पब्लिक भी बेबकूफ है तभी तो इन दुष्टो का धंधा खूब फूलता फलता है |
इधर आसाराम समर्थकों चोरी के बाद भी सीनाजोरी करने से बाज नहीं आ रहे हैं, आसाराम समर्थकों की दलील है कि उनके गुरू के खिलाफ मीडिया में गलत खबरें चल रही है...जिसके बाद ही समर्थक आपे से बाहर हो गये। वहीं आसाराम के खिलाफ अबतक की जांच को उन्हीं के समर्थकों ने ही सही बताया लेकिन फिर क्यों हंगामा
August 20, 2013
डॉलर का पत्र रुपये के नाम
मेरे प्यारे रुपये,
मुझे तुमसे हमदर्दी है. लेकिन अपनी बिगड़ती सेहत के लिए मुझे दोष मत देना. बुरा न मानना यार, लेकिन तुम्हें तो गिरना ही था. तुम्हारे यहां राजनीति से लेकर समाज तक हर फील्ड में गिरावट है. जब सब गिरे हुए हों तो तुम्हें संभालने की फिक्र करेगा भी कौन? गिरना तुम्हारी नियति है दोस्त.
मेरे प्यारे रुपये, मुझे तो मज़बूत होना ही है. यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और यही कुदरत का नियम भी है क्योंकि मैं अमरीका में पैदा हुआ हूं. कुदरत अमरीका की मुट्ठी में है. अमरीका में पैदा होने की अहमियत और रौब भला तुम क्या जानो? ज़रा अपने पीएम इन वेटिंग से ही पूछ लो, जिन्हें वीजा पाने तक के लिए कितनी जुगत भिड़ानी पड़ रही है.
मेरे प्यारे रुपये, मुझसे ईष्या मत करना. मुझे मजबूत होना ही है क्योंकि मुझे ओबामा की लाज रखनी है. वैसे भी मैं दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क की मुद्रा हूं. गिरना मेरी शान के ख़िलाफ़ है. यह शान बड़ी चीज़ है. शान के लिए हमने दो मुल्क़ों, ईराक और अफगानिस्तान को तबाह करने से भी गुरेज नहीं किया. वैसे भी, मैं भला कैसे गिर सकता हूं? मुझे तो दूसरों की मुद्रा गिराने में मज़ा आता है. तभी तो दुनिया पर मेरा सिक्का चल रहा है.
मेरे प्यारे रुपये, तुम मुझसे ज्यादा उम्मीद मत रखो. तुम अपने प्याज तक को ऊपर चढ़ने से नहीं रोक पा रहे तो भला मैं भी तुम्हारी क्यों परवाह करूं? मेरी सलाह है कि किसी अच्छे वैद्य से अपना इलाज करवाओ. लेकिन याद रखना ‘यस वी कैन’ कह देने भर से तुम अमरीकन नहीं हो जाओगे.
मेरे प्यारे रुपये, मैंने सुना है कि गिरे हुए को उठाना तुम्हारे यहां बड़े पुण्य काम माना जाता है. लेकिन यार तुम तो इत्ता नीचे गिर चुके हो कि तुम्हें उठाने के बारे में पुण्य भी लाख बार सोचे. अब मैं और क्या कहूं? कम लिखा है ज्यादा समझना. इसी में तुम्हारी भलाई है.
तुम्हारा शुभेच्छुक-
डॉलर.
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August 06, 2013
कैसे हुआ चलन ओके (OK) का?
हेलो (Hello) के बाद अंग्रेज़ी का सब से ज़्यादा प्रयोग में आने वाला शब्द शायद ‘ओके’ (OK) है. और अगर इस शब्द की पृष्ट-भूमि खंगालिए तो विचित्र कहानियाँ सुनने को मिलती हैं.
हालांकि आजकल ओके को छोटा बड़ा हर कोई बिना हिचक बड़ी सहजता से प्रयोग में लाता है, लेकिन हम अपने गुल्लक पाठकों को इस बात से अवगत करा दें कि कुछ दशक पहले इस शब्द के साथ ऐसी स्थिति नहीं थी.
शुरुआत ‘ओके’ की :
कहा जाता है कि अमरीकी राष्ट्रपति जैकसन ने इसका प्रयोग किया था.
इस शब्द की शुरूआत के बारे में सबसे आम ख़्याल तो यह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ऐड्रू जैक्सन ने All Correct के स्थान पर उसके संक्षिप्त रूप oll correct के ग़लत हिज्जे अथवा ओके का चलन किया.
यह कहानी जब भारत और पाकिस्तान तक पहुंची तो लोगों ने राष्ट्रपति का पात्र बदल कर वहां जार्ज वाशिंगटन या अब्राहम लिंकन को ला बिठाया.
यह कहानी जितनी पॉपुलर है उतनी ग़लत भी है क्योंकि किसी अमरीकी राष्ट्रपति के संदर्भ में इस प्रकार की किसी हरकत का प्रमाण नहीं मिलता है.
इस से ज़रा अच्छी और विश्वसनिय कहानी राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार के बारे में है जिसका चुनाव अभियान सन 1800 ई. के क़रीब शुरू हुआ था.
उम्मीदवार का पुश्तैनी गांव न्युयार्क राज्य में था और उसका नाम था Old Kinderhook. इसलिए उसके समर्थकों ने उसी नाम के प्रारंभ के अक्षरों को लेकर एक OK ग्रुप बना लिया, और हर ओर इसी शब्द को ख्याति दी.
अमरीकी रेलवे के शुरू के समय में एक पोस्टल कलर्क की भी दास्तान मिलती है जिसका नाम Obaidiah Kelly था और हर पार्सल पर निशानी के लिए वह अपने नाम के प्रारंभ के अक्षर OK दर्ज कर देता था और वहीं से इस शब्द ने प्रसिद्धि प्राप्त की.
मज़बूत दलील:
एक मज़बूत दलील ये भी है कि ओके किसी रेड इंडियन भाषा से आया है.
लेकिन इन कहानियों से कहीं अधिक सशक्त दलील यह मालूम होती है कि OK किसी रेड इंडियन भाषा का शब्द है.
ज्ञात रहे कि अमेरिका में आज तक रेड इंडियन भाषा के बहुत से शब्द प्रयोग किए जाते हैं. ख़ुद अमेरीकी राज्यों में से आधे राज्यों का नाम रेड इंडियन है. उदाहरणस्वरूप ओकलाहामा, डकोटा, उडाहो, विस्किनसन, उहायो, टेनेसी—यह सब रेड इंडियन नाम हैं.
कहा जाता है कि रेड इंडियन क़बीले चटकाव का सरदार एक दिन क़बीले के प्रतिनिधियों की बात सुन रहा था और हर बात पर ‘ओके, ओके’ कहता जाता था जिस का अर्थ था ‘हां ठीक है’.
किसी अमेरीकी पर्यटक ने इस घटना को देख लिया और फिर अपने साथियों में इस शब्द को प्रचलित कर दिया.
OK एक ऐसा शब्द है जिसे अमरीका वाले शुद्ध अमरीकी शब्द मानेते हैं क्योंकि यह शब्द अंग्रेज़ी भाषा के साथ इंगलिस्तान से वहां नहीं पहुंचा था बलकि यह अमेरीका की अपनी पैदावार है.
अगरचे पिछले तीस-चालीस वर्षों में इस शब्द को बाज़ारी बोलचाल से संजीदा लेखन में आने का रुतबा मिल चुका है और अब कोई शिक्षक उसके प्रयोग करने पर किसी क्षात्र को सज़ा नहीं देता है लेकिन कुछ शरारती क्षात्रों ने उस्तादों को गुस्सा दिलाने के लिए इस की बिगड़ी हुई शक्ल ‘ओकी’ और ‘ओकी.डोकी’ जैसे ऊटपटांग शब्द गढ़ लिए हैं.
*यह तमाम जानकारी बी. बी. सी. हिंदी न्यूज़ एवं इंटरनेट से ली गयी है
हालांकि आजकल ओके को छोटा बड़ा हर कोई बिना हिचक बड़ी सहजता से प्रयोग में लाता है, लेकिन हम अपने गुल्लक पाठकों को इस बात से अवगत करा दें कि कुछ दशक पहले इस शब्द के साथ ऐसी स्थिति नहीं थी.
शुरुआत ‘ओके’ की :
कहा जाता है कि अमरीकी राष्ट्रपति जैकसन ने इसका प्रयोग किया था.
इस शब्द की शुरूआत के बारे में सबसे आम ख़्याल तो यह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ऐड्रू जैक्सन ने All Correct के स्थान पर उसके संक्षिप्त रूप oll correct के ग़लत हिज्जे अथवा ओके का चलन किया.
यह कहानी जब भारत और पाकिस्तान तक पहुंची तो लोगों ने राष्ट्रपति का पात्र बदल कर वहां जार्ज वाशिंगटन या अब्राहम लिंकन को ला बिठाया.
यह कहानी जितनी पॉपुलर है उतनी ग़लत भी है क्योंकि किसी अमरीकी राष्ट्रपति के संदर्भ में इस प्रकार की किसी हरकत का प्रमाण नहीं मिलता है.
इस से ज़रा अच्छी और विश्वसनिय कहानी राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार के बारे में है जिसका चुनाव अभियान सन 1800 ई. के क़रीब शुरू हुआ था.
उम्मीदवार का पुश्तैनी गांव न्युयार्क राज्य में था और उसका नाम था Old Kinderhook. इसलिए उसके समर्थकों ने उसी नाम के प्रारंभ के अक्षरों को लेकर एक OK ग्रुप बना लिया, और हर ओर इसी शब्द को ख्याति दी.
अमरीकी रेलवे के शुरू के समय में एक पोस्टल कलर्क की भी दास्तान मिलती है जिसका नाम Obaidiah Kelly था और हर पार्सल पर निशानी के लिए वह अपने नाम के प्रारंभ के अक्षर OK दर्ज कर देता था और वहीं से इस शब्द ने प्रसिद्धि प्राप्त की.
मज़बूत दलील:
एक मज़बूत दलील ये भी है कि ओके किसी रेड इंडियन भाषा से आया है.
लेकिन इन कहानियों से कहीं अधिक सशक्त दलील यह मालूम होती है कि OK किसी रेड इंडियन भाषा का शब्द है.
ज्ञात रहे कि अमेरिका में आज तक रेड इंडियन भाषा के बहुत से शब्द प्रयोग किए जाते हैं. ख़ुद अमेरीकी राज्यों में से आधे राज्यों का नाम रेड इंडियन है. उदाहरणस्वरूप ओकलाहामा, डकोटा, उडाहो, विस्किनसन, उहायो, टेनेसी—यह सब रेड इंडियन नाम हैं.
कहा जाता है कि रेड इंडियन क़बीले चटकाव का सरदार एक दिन क़बीले के प्रतिनिधियों की बात सुन रहा था और हर बात पर ‘ओके, ओके’ कहता जाता था जिस का अर्थ था ‘हां ठीक है’.
किसी अमेरीकी पर्यटक ने इस घटना को देख लिया और फिर अपने साथियों में इस शब्द को प्रचलित कर दिया.
OK एक ऐसा शब्द है जिसे अमरीका वाले शुद्ध अमरीकी शब्द मानेते हैं क्योंकि यह शब्द अंग्रेज़ी भाषा के साथ इंगलिस्तान से वहां नहीं पहुंचा था बलकि यह अमेरीका की अपनी पैदावार है.
अगरचे पिछले तीस-चालीस वर्षों में इस शब्द को बाज़ारी बोलचाल से संजीदा लेखन में आने का रुतबा मिल चुका है और अब कोई शिक्षक उसके प्रयोग करने पर किसी क्षात्र को सज़ा नहीं देता है लेकिन कुछ शरारती क्षात्रों ने उस्तादों को गुस्सा दिलाने के लिए इस की बिगड़ी हुई शक्ल ‘ओकी’ और ‘ओकी.डोकी’ जैसे ऊटपटांग शब्द गढ़ लिए हैं.
*यह तमाम जानकारी बी. बी. सी. हिंदी न्यूज़ एवं इंटरनेट से ली गयी है
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August 01, 2013
अब धरती पर सुपरहीरो की जरुरत नहीं रही
ऐसा वक्त दुर्लभ होता है कि सुपरमैन को कोई उदास देखे। तब मुझे पता नहीं था कि अब सुपरमैन को देखना ही दुर्लभ हो जाएगा।
मैंने पूछा- सुपरमैन, उदास क्यों हो?
सुपरमैन ने मुझे देखा- मैं यह धरती छोड़कर जा रहा हूं, किसी और ग्रह पर। मैं ही नहीं, सारे सुपरहीरो, बैटमैन, महाबली बेताल, फ्लैश गॉर्डन सब जा रहे हैं।
मैंने कहा- सारे सुपरहीरो चले जाएंगे तो धरती का क्या होगा?
उसने कहा- अब हमारी जरूरत नहीं रही, हम सबने रिटायरमेंट का फैसला किया है।
मैंने पूछा- क्यों? क्यों? क्यों?
उसने कहा- अब नरेन्द्र मोदी जो आ गए हैं, वे हम सब से अकेले ही भारी हैं। कल रजनीकांत से बात हुई थी, वे भी सोच रहे हैं कि फिल्में छोड़कर वे सास बहू सीरियल में रोल करने लगें। पहली बार ऐसा हुआ है कि सुपरमैन से लेकर रजनीकांत तक सब अपने आप को बेकार महसूस कर रहे हैं।
जब नरेन्द्र मोदी हैं तो दुनिया में कोई समस्या नहीं रहेगी, न अपराध, न गरीबी, न भ्रष्टाचार, न बीमारी, फिर हम करेंगे क्या? मैं कुछ कह नहीं सकता था, उसकी व्यथा वास्तविक थी और उसका इलाज मेरे पास नहीं था। होता भी कैसे, आम लोगों की समस्याएं सुपरमैन चुटकियों में सुलझाता था, उसकी समस्या भला कौन सुलझा सकता था।
मैंने कहा- लेकिन कहीं जाने की क्या जरूरत है, नरेन्द्र मोदी के रहते तुम भी तो दुनिया में रह सकते हो।
उसने कहा- नहीं, हमें यह संदेश मिल गया है कि इस धरती पर एक ही रह सकता है। हमने एक सुदूर ग्रह ढूंढा है, अब हम वहीं जा कर बसेंगे। हमने नरेन्द्र मोदी से कहा है कि हमें वहां पहुंचाने का इंतजाम करवा दें। उन्होंने कहा है कि वे करवा देंगे, वे एक टवेरा भेज रहे हैं हम सबके लिए।
मैंने कहा- लेकिन टवेरा से आप दूसरे ग्रह तक कैसे जाएंगे?
उसने कहा- नरेन्द्र मोदी क्या नहीं कर सकते, वे टवेरा तो क्या साइकिल से वहां तक पहुंचा दें।
हम यूं ही रिटायर थोड़े ही हो रहे हैं।
मैंने पूछा- सुपरमैन, उदास क्यों हो?
सुपरमैन ने मुझे देखा- मैं यह धरती छोड़कर जा रहा हूं, किसी और ग्रह पर। मैं ही नहीं, सारे सुपरहीरो, बैटमैन, महाबली बेताल, फ्लैश गॉर्डन सब जा रहे हैं।
मैंने कहा- सारे सुपरहीरो चले जाएंगे तो धरती का क्या होगा?
उसने कहा- अब हमारी जरूरत नहीं रही, हम सबने रिटायरमेंट का फैसला किया है।
मैंने पूछा- क्यों? क्यों? क्यों?
उसने कहा- अब नरेन्द्र मोदी जो आ गए हैं, वे हम सब से अकेले ही भारी हैं। कल रजनीकांत से बात हुई थी, वे भी सोच रहे हैं कि फिल्में छोड़कर वे सास बहू सीरियल में रोल करने लगें। पहली बार ऐसा हुआ है कि सुपरमैन से लेकर रजनीकांत तक सब अपने आप को बेकार महसूस कर रहे हैं।
जब नरेन्द्र मोदी हैं तो दुनिया में कोई समस्या नहीं रहेगी, न अपराध, न गरीबी, न भ्रष्टाचार, न बीमारी, फिर हम करेंगे क्या? मैं कुछ कह नहीं सकता था, उसकी व्यथा वास्तविक थी और उसका इलाज मेरे पास नहीं था। होता भी कैसे, आम लोगों की समस्याएं सुपरमैन चुटकियों में सुलझाता था, उसकी समस्या भला कौन सुलझा सकता था।
मैंने कहा- लेकिन कहीं जाने की क्या जरूरत है, नरेन्द्र मोदी के रहते तुम भी तो दुनिया में रह सकते हो।
उसने कहा- नहीं, हमें यह संदेश मिल गया है कि इस धरती पर एक ही रह सकता है। हमने एक सुदूर ग्रह ढूंढा है, अब हम वहीं जा कर बसेंगे। हमने नरेन्द्र मोदी से कहा है कि हमें वहां पहुंचाने का इंतजाम करवा दें। उन्होंने कहा है कि वे करवा देंगे, वे एक टवेरा भेज रहे हैं हम सबके लिए।
मैंने कहा- लेकिन टवेरा से आप दूसरे ग्रह तक कैसे जाएंगे?
उसने कहा- नरेन्द्र मोदी क्या नहीं कर सकते, वे टवेरा तो क्या साइकिल से वहां तक पहुंचा दें।
हम यूं ही रिटायर थोड़े ही हो रहे हैं।
-- "लाइव हिन्दुस्तान में राजेंद्र जी"
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July 08, 2013
अब आया जमाना ऑनलाइन ‘किस’ का
मित्रो बात है १ हफ्ते पहले की मेरे एक मित्र अभय ने १ लिंक दिया फेसबुक पर (kisses.burberry.com) और उसके बारे में जानना चाहा, खाफी खोज बीन के बाद जो जानकारी मिली बड़ी दिलचस्प थी इसीलिए मैंने सोचा क्यूना इसे गुल्लक के पाठको से भी शेयर किया जाये ताकि उनको भी पता चले जो नहीं जानते!!
एक जमाना था जब कबूतर के जरिए लव-लेटर भेजा जाता था फिर तकनीक विज्ञान की बदौलत फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हुआ और फिर आवाज और लव लेटर की जगह ली एसएमएस और वेब कॉलिंग ने. इसके अलावा ई-मेल के जरिए अपनी दिल की भावनाओं को एक-दूसरे से साझा किया जाता था, लेकिन अब जब आए दिन कोई ना कोई नई तकनीक का विकास किया ही जा रहा है तो इस श्रेणी में एक और सुविधा जुड़ गई है जिसके अंतर्गत आप ई-मेल में अपने साथी के लिए किस भी भेज सकते हैं.
यह सब सुनकर आप हैरान तो होंगे और बहुत हद तक संभव है कि आपको हमारी बात पर विश्वास ना हो लेकिन सच यही है कि बरबेरी ने गूगल के साथ मिलकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर निर्मित किया है जिसकी सहायता से अब आप अपनी ’किस’ से लव लेटर वाला लिफाफा चिपकाएंगे नहीं बल्कि उस लिफाफे के अंदर एक ‘किस’ पैक कर भेजेंगे.
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको kisses.burberry.com पर लॉग इन करना है और quick Kisses के ऑप्शन का प्रयोग कर अपने चाहने वालों या प्रेमी-प्रेमिका या फिर जीवन साथी को ‘किस’ मेल कर सकते हैं. इतना ही नहीं बरबेरी (Burberry Kisses ) आपको होंठों का रंग चुनने का भी ऑप्शन मुहैया करवाता है. आप अपने होंठों के रंग और आकार का ‘किस’ अपने लवर को भेज सकते हैं. अपनी ‘किस’ के साथ आप एक पर्सनल मैसेज भी भेज सकते हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि इस पूरी प्रक्रिया में भूमिका तो सिर्फ बरबेरी की ही है इसमें गूगल का क्या काम. तो हम आपको बताते हैं कि Burberry Kisses के जरिए किस भेजने के साथ-साथ आप गूगल अर्थ (Google Earth) और स्ट्रीट व्यू (Street View) तकनीक की मदद से यह भी आसानी से देख पाएंगे कि क्या आपका किस आपके साथी तक पहुंच पाया है. साथ ही यह ‘किस’ आपके साथी तक कैसे पहुंचता है, इसका पता भी आप बड़ी आसानी के साथ लगा सकते हैं.
अब इतने मजेदार फीचर के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद आप जरूर इसे ट्राई करना चाहेंगे. तो फिर देर किस बात की kisses.burberry.com पर लॉग इन कीजिए और भेजिए अपने लवर को किस.
आप नीचे दी गई वीडियो के जरिए इस फीचर का प्रयोग कैसे किया जाए,यह भी सीख सकते हैं:
एक जमाना था जब कबूतर के जरिए लव-लेटर भेजा जाता था फिर तकनीक विज्ञान की बदौलत फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हुआ और फिर आवाज और लव लेटर की जगह ली एसएमएस और वेब कॉलिंग ने. इसके अलावा ई-मेल के जरिए अपनी दिल की भावनाओं को एक-दूसरे से साझा किया जाता था, लेकिन अब जब आए दिन कोई ना कोई नई तकनीक का विकास किया ही जा रहा है तो इस श्रेणी में एक और सुविधा जुड़ गई है जिसके अंतर्गत आप ई-मेल में अपने साथी के लिए किस भी भेज सकते हैं.
यह सब सुनकर आप हैरान तो होंगे और बहुत हद तक संभव है कि आपको हमारी बात पर विश्वास ना हो लेकिन सच यही है कि बरबेरी ने गूगल के साथ मिलकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर निर्मित किया है जिसकी सहायता से अब आप अपनी ’किस’ से लव लेटर वाला लिफाफा चिपकाएंगे नहीं बल्कि उस लिफाफे के अंदर एक ‘किस’ पैक कर भेजेंगे.
इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको kisses.burberry.com पर लॉग इन करना है और quick Kisses के ऑप्शन का प्रयोग कर अपने चाहने वालों या प्रेमी-प्रेमिका या फिर जीवन साथी को ‘किस’ मेल कर सकते हैं. इतना ही नहीं बरबेरी (Burberry Kisses ) आपको होंठों का रंग चुनने का भी ऑप्शन मुहैया करवाता है. आप अपने होंठों के रंग और आकार का ‘किस’ अपने लवर को भेज सकते हैं. अपनी ‘किस’ के साथ आप एक पर्सनल मैसेज भी भेज सकते हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि इस पूरी प्रक्रिया में भूमिका तो सिर्फ बरबेरी की ही है इसमें गूगल का क्या काम. तो हम आपको बताते हैं कि Burberry Kisses के जरिए किस भेजने के साथ-साथ आप गूगल अर्थ (Google Earth) और स्ट्रीट व्यू (Street View) तकनीक की मदद से यह भी आसानी से देख पाएंगे कि क्या आपका किस आपके साथी तक पहुंच पाया है. साथ ही यह ‘किस’ आपके साथी तक कैसे पहुंचता है, इसका पता भी आप बड़ी आसानी के साथ लगा सकते हैं.
अब इतने मजेदार फीचर के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद आप जरूर इसे ट्राई करना चाहेंगे. तो फिर देर किस बात की kisses.burberry.com पर लॉग इन कीजिए और भेजिए अपने लवर को किस.
आप नीचे दी गई वीडियो के जरिए इस फीचर का प्रयोग कैसे किया जाए,यह भी सीख सकते हैं:
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July 06, 2013
क्यों गिर रहा है रुपया? (Why Rupee Down)
भारत के रुपए का अमरीकी डॉलर के मुकाबले गिरना लगातार जारी है लेकिन क्या यह चिंता की बात है? अगर हाँ तो इसे संभालेगा कौन?
द हिन्दू अख़बार के कार्यकारी सम्पादक एम के वेणु दे रहे हैं कुछ अहम सवालों के जवाब -
रुपया गिर क्यों रहा है?
सीधे तौर पर बाज़ार का सिद्धांत है. साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद से अमरीका ने अपनी अर्थव्यवस्था को मदद देने के लिए एक अनुमान के मुताबिक़ बाज़ार में करीब दो खरब डॉलर डाले थे. यह रकम भारत, चीन सहित दुनिया भर की कई अर्थव्यवस्थाओं में लगी. अब अमरीका इसे वापस खींचने की बात कर रहा है. इसलिए भाव बढ़ रहे हैं और भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की मुद्राएँ गिर रही हैं. यह प्याज के भाव की तरह है. ज़्यादा प्याज कम भाव, कम प्याज ज़्यादा भाव.
दूसरा कारण है कि भारत का आयात तेज़ी से बढ़ा है चाहे तेल हो या सोना. भारत का आयात, निर्यात की तुलना में बहुत बढ़ा है.
रूपए की यह गिरावट कहाँ तक जा सकती है?
यह अमरीका के रुख़ पर निर्भर करता है. अगर अमरीका डॉलर को आराम से खींचता है तो अन्य मुद्राएँ अपने आप को संभाल सकती हैं वरना इसमें और तेज़ी आएगी. दूसरा ऐसा लगता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक रुपए को और ज़्यादा गिरने नहीं देगा और अपने पास रखे डॉलर बेचकर रूपए को एक डॉलर के मुकाबले वापस 56 या 57 रुपए तक लाने की कोशिश करेगा.
क्या भारत सरकार को चिंतित होने की ज़रुरत है?
यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसकी वजह से सरकार के महंगाई नियंत्रित करने के सारे कदम प्रभावित होते हैं. भारत में जो आयात-निर्यात के अंतर से उपजा असंतुलन है उससे निपटने के लिए सालाना करीब सौ अरब डॉलर का विदेशी निवेश चाहिए जो अब तक हो ही जाता है. पिछले साल भी यह हुआ था और इस साल भी लगता है कि यह हो ही जाएगा.
रुपए के गिरने की वजह से क्लिक करें विदेशी निवेशक इससे भारत की ओर आकर्षित भी होते हैं.
मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के लिए इसका अर्थ?
मध्यम वर्ग के बहुत सारे बच्चे विदेश में पढ़ने जाते हैं. अगर फ़ीस में दस फ़ीसदी की भी बढ़ोत्तरी होती है तो उनके लिए यह बहुत बड़ा धक्का होगा.
दूसरी तरफ यह ग़रीब आदमी, निम्न मध्यम वर्गीय आदमी के लिए जीवन मुश्किल करेगा क्योंकि डीज़ल के दाम बढ़ेंगे तो उसका असर आटा दाल सब्ज़ी हर चीज़ पर होगा.
द हिन्दू अख़बार के कार्यकारी सम्पादक एम के वेणु दे रहे हैं कुछ अहम सवालों के जवाब -
रुपया गिर क्यों रहा है?
सीधे तौर पर बाज़ार का सिद्धांत है. साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद से अमरीका ने अपनी अर्थव्यवस्था को मदद देने के लिए एक अनुमान के मुताबिक़ बाज़ार में करीब दो खरब डॉलर डाले थे. यह रकम भारत, चीन सहित दुनिया भर की कई अर्थव्यवस्थाओं में लगी. अब अमरीका इसे वापस खींचने की बात कर रहा है. इसलिए भाव बढ़ रहे हैं और भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की मुद्राएँ गिर रही हैं. यह प्याज के भाव की तरह है. ज़्यादा प्याज कम भाव, कम प्याज ज़्यादा भाव.
दूसरा कारण है कि भारत का आयात तेज़ी से बढ़ा है चाहे तेल हो या सोना. भारत का आयात, निर्यात की तुलना में बहुत बढ़ा है.
रूपए की यह गिरावट कहाँ तक जा सकती है?
यह अमरीका के रुख़ पर निर्भर करता है. अगर अमरीका डॉलर को आराम से खींचता है तो अन्य मुद्राएँ अपने आप को संभाल सकती हैं वरना इसमें और तेज़ी आएगी. दूसरा ऐसा लगता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक रुपए को और ज़्यादा गिरने नहीं देगा और अपने पास रखे डॉलर बेचकर रूपए को एक डॉलर के मुकाबले वापस 56 या 57 रुपए तक लाने की कोशिश करेगा.
क्या भारत सरकार को चिंतित होने की ज़रुरत है?
यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसकी वजह से सरकार के महंगाई नियंत्रित करने के सारे कदम प्रभावित होते हैं. भारत में जो आयात-निर्यात के अंतर से उपजा असंतुलन है उससे निपटने के लिए सालाना करीब सौ अरब डॉलर का विदेशी निवेश चाहिए जो अब तक हो ही जाता है. पिछले साल भी यह हुआ था और इस साल भी लगता है कि यह हो ही जाएगा.
रुपए के गिरने की वजह से क्लिक करें विदेशी निवेशक इससे भारत की ओर आकर्षित भी होते हैं.
मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के लिए इसका अर्थ?
मध्यम वर्ग के बहुत सारे बच्चे विदेश में पढ़ने जाते हैं. अगर फ़ीस में दस फ़ीसदी की भी बढ़ोत्तरी होती है तो उनके लिए यह बहुत बड़ा धक्का होगा.
दूसरी तरफ यह ग़रीब आदमी, निम्न मध्यम वर्गीय आदमी के लिए जीवन मुश्किल करेगा क्योंकि डीज़ल के दाम बढ़ेंगे तो उसका असर आटा दाल सब्ज़ी हर चीज़ पर होगा.
July 05, 2013
कौन कहता है फेसबुक इंटरनेट से ही चलता है?
आजकल आप हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन देखते होंगे और जो लोग महंगे-महंगे फोन रखना पसंद नहीं करते या फोन पर ज्यादा खर्च करना पसंद नहीं करते तो अभी तक आप फोन पर अलग-अलग एप्लिकेशन डाउनलोड नहीं कर पाते थे. जाहिर है आपके दोस्त और रिश्तेदार आपको अपनी फोन एप्लिकेशन से चिढ़ाते भी होंगे जो काफी हद तक आपको परेशान करता होगा. लेकिन अब आपको उनके चिढ़ाने से परेशान होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि अब वे लोग जो अभी भी सिंपल फोन पर ही विश्वास रखते हैं उनके लिए भी मजेदार एप्लिकेशन डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध करवाई जाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि इजराइल की एक कंपनी ने एक ऐसा तरीका ढूंढ़ निकाला है जो सिंपल फोनों में भी एप्लिकेशन डाउनलोड करने में आपकी सहायता कर सकता है. इजराइल की वास्को डी नामक कंपनी की इस तकनीक के अनुसार यूजर कंपनी के ही क्लाउड बेस्ड सिस्टम से एप्लिकेशन प्राप्त कर सकता है और उसके लिए किसी भी प्रकार की डाउनलोडिंग की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. जाहिर है यह सब सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे लेकिन सच यही है कि एसएमएस की तरह काम करने वाले टेक्स्ट बेस्ड अनस्ट्रक्चर्ड सप्लिमेंटरी सर्विस डेटा का प्रयोग कर सिंपल फोन धारक ऐसा कर सकते हैं.
इस तकनीक को विकसित करने वाली वास्को डी कंपनी के सीईओ डोरोन मोटोस का यह कहना है कि आज की तरीख में 83 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करने में असमर्थ हैं और इसी की वजह से वह अपने जरूरी ईमेल भी समय से चेक नहीं कर पाते. डोरोन का कहना है कि इंडोनेशिया, ब्राजील आदि जैसे देशों को कंपनी अपना टार्गेट बनाकर चल रही है क्योंकि यहां अत्याधिक गरीबी होने के कारण वह स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर पाते और अपने-अपने कामों को पूरा करने के लिए उन्हें इंटरनेट पर जाकर पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
इस सर्विस का उपयोग करने वाले लोग इस सर्विस की सहायता से फेसबुक, जीमेल आदि जैसी जरूरी और चर्चित एप्लिकेशन का लुत्फ उठा पाएंगे जो अभी तक सिर्फ स्मार्टफोन यूजर को ही मुहैया करवाई जाती रही है. इस सर्विस के साथ बस एक समस्या यह है कि इसकी मदद से आप उस तरह इंटरनेट नहीं चला सकते जिस तरह समार्टफोन यूजर चला सकता है लेकिन हां, एक एप्लिकेशन के जरिए आप किसी भी समय मेल चेक करने के लिए और दोस्तों से कनेक्ट रहने के लिए फेसबुक जैसी साइटों का उपयोग तो कर ही सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि इजराइल की एक कंपनी ने एक ऐसा तरीका ढूंढ़ निकाला है जो सिंपल फोनों में भी एप्लिकेशन डाउनलोड करने में आपकी सहायता कर सकता है. इजराइल की वास्को डी नामक कंपनी की इस तकनीक के अनुसार यूजर कंपनी के ही क्लाउड बेस्ड सिस्टम से एप्लिकेशन प्राप्त कर सकता है और उसके लिए किसी भी प्रकार की डाउनलोडिंग की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. जाहिर है यह सब सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे लेकिन सच यही है कि एसएमएस की तरह काम करने वाले टेक्स्ट बेस्ड अनस्ट्रक्चर्ड सप्लिमेंटरी सर्विस डेटा का प्रयोग कर सिंपल फोन धारक ऐसा कर सकते हैं.
इस तकनीक को विकसित करने वाली वास्को डी कंपनी के सीईओ डोरोन मोटोस का यह कहना है कि आज की तरीख में 83 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करने में असमर्थ हैं और इसी की वजह से वह अपने जरूरी ईमेल भी समय से चेक नहीं कर पाते. डोरोन का कहना है कि इंडोनेशिया, ब्राजील आदि जैसे देशों को कंपनी अपना टार्गेट बनाकर चल रही है क्योंकि यहां अत्याधिक गरीबी होने के कारण वह स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर पाते और अपने-अपने कामों को पूरा करने के लिए उन्हें इंटरनेट पर जाकर पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
इस सर्विस का उपयोग करने वाले लोग इस सर्विस की सहायता से फेसबुक, जीमेल आदि जैसी जरूरी और चर्चित एप्लिकेशन का लुत्फ उठा पाएंगे जो अभी तक सिर्फ स्मार्टफोन यूजर को ही मुहैया करवाई जाती रही है. इस सर्विस के साथ बस एक समस्या यह है कि इसकी मदद से आप उस तरह इंटरनेट नहीं चला सकते जिस तरह समार्टफोन यूजर चला सकता है लेकिन हां, एक एप्लिकेशन के जरिए आप किसी भी समय मेल चेक करने के लिए और दोस्तों से कनेक्ट रहने के लिए फेसबुक जैसी साइटों का उपयोग तो कर ही सकते हैं.
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June 20, 2013
देवलोक में अवतार चर्चा का कार्यक्रम
देवलोक में अगले अवतार की चर्चा हो रही है। किस देवता को अगले अवतार के रूप में भारत भूमि में भेजा जाये। रोज-रोज भारत भूमि से पुकार आ रही हैं। भक्त परेशान हैं।
एक देवता ने सुझाव दिया- अगला अवतार फ़िर वाराहावतार, मत्स्यावतार की तरह बाघावतार के रूप में होना चाहिये। इससे पृथ्वीलोक में बाघों की संख्या भी बढेगी और साथ में जंगल भी। पृथ्वीलोक में पर्यावरण की रक्षा होगी।
यह सुनते ही उसके विरोधी देवता ने टोक दिया- मुझे पता है कि आप “बाघ बचाओ, पर्यावरण बचाओ” का अभियान चलाने वाली कंपनी को फ़ायदा पहुंचाने के लिये यह सुझाव दे रहे हैं। लेकिन आप अब देवलोक में हैं। पृथ्वीलोक वाली यह हरकतें छोड़ दीजिये। यहां निर्णय निष्पक्ष लिये जाते हैं। किसी लोभ-लालच में नहीं।
कई लोगों का कहना था कि अगला अवतार मनुष्य योनि में ही होना चाहिये। लेकिन बात इस बात पर अटक गयी कि अवतार किस जाति में हो। हर जाति का देवता अपनी जाति में अवतार के लिये झगड़ने लगा।
जातियों पर जब बात चली तो सुझाव आया कि अवतार का चुनाव जाति के आधार पर होना चाहिये। जिस जाति के लोग सबसे ज्यादा परेशान,बदहाल हों उस जाति में अवतार होना चाहिये। इसी बहाने जाति की हालत सुधर जायेगी। लेकिन लफ़ड़ा यह हुआ कि जातियों के बारे में देवलोक में पूरे आंकड़े नहीं थे।
अभी जाति के हिसाब से अवतार पर बहस चल ही रही थी कि एक देवता ने चिल्लाते हुये कहा- अगला अवतार जाति के हिसाब से नहीं वर्ग के हिसाब से तय होना चाहिये। जाति के हिसाब से अवतार चुने जाने का मैं कड़ा विरोध करता हूं।
कुछ देवियों ने एतराज किया अगले अवतार के लिये किसी देवता को नहीं किसी देवी को भेजा जाये. उन्होंने पृथ्वीलोक में स्त्रियों की बिगड़ते हाल के किस्से भी सुनाये।
उनके एतराज से सभी देवता सहमत थे लेकिन सबकी चिंता यही थी कि इस समय पृथ्वीलोक में हाल बड़े बेहाल हैं। देवी ने अगर अवतार लिया तो उसकी सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा।
देवियों ने एतराज किया कि पृथ्वीलोक में इत्ते सारे पुराने देवता पहले से ही मौजूद हैं. उनको देवी अवतार का जिम्मा सौपा जाये। देवी को ताकतें दी जायें।
इस पर कुछ देवताओं ने कहा कि पुराने देवता अगर अपना काम ठीक से करते तो पृथ्वी लोक के हाल इतने खराब क्यों होते? वे तो बस मंदिरों में बैठे हैं। चढ़ावा ले रहे हैं। जमीनों में कब्जा करवाने में बाहुबली भक्तों की सहायता कर रहे हैं। देवी को अवतार के रूप में भेजने का रिस्क नहीं लेना चाहिये। देवी अवतार के साथ कहीं कुछ ऊंच-नीच हो गयी तो इज्जत खराब होगी देवलोक की।
इतने में एक देवता जो कि पृथ्वीलोक की खबरों पर निगाह रखता था ने देवसभा को बताया – आपके अवतार की पृथ्वीलोक में कोई जरूरत नहीं है। वे अपना भला करने के लिये अपना अगला प्रधानमंत्री चुनने में लगे हैं।जैसे ही उन्होने अगला प्रधानमंत्री चुन लिया उनके सारे कष्ट खत्म हो जायेंगे। देवलोक के अवतार की वहां कोई आवश्यकता ही नहीं है।
लेकिन अगर प्रधानमंत्री चुने जाने पर भी उनके कष्ट न खतम हुये तो क्या होगा? हम अपने भक्तों को फ़िर क्या जबाब देंगे? – एक जिम्मेदार से देवता ने सवाल किया।
अगर कष्ट न दूर हुये तो वे अपना अगला प्रधानमंत्री फ़िर चुनेंगे...!!
May 22, 2013
जीमेल के उपयोगी फीचर्स (Advance features of Gmail)
गुल्लक के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
दोस्तों सीधी सादी सी दिखने वाली जीमेल देखते ही देखते दुनिया की सबसे लोकप्रिय वेब - बेस्ड ईमेल सेवा बन गई, यूँ तो जीमेल हम सभी इस्तेमाल करते है लेकिन ऐसे तमाम उपयोगी फीचर्स हैं जीमेल के जिनका इस्तेमाल हम लोग आमतौर पर नहीं करते| गूगल की नीति अपने प्रॉडक्ट्स का इंटरफेस ( चेहरा- मोहरा ) सीधा - सादा रखने की है। लेकिन आप चाहें तो थोड़ी सी कोशिश कर उसके एडवांस फीचर्स का फायदा उठा सकते हैं, जो ईमेल से जुड़ी आपकी बहुत सी उलझनें दूर कर देंगे और ढेर सारे मुश्किल काम आसान कर देंगे।
तो दोस्तो आज हम अपने ब्लागर मित्र 'मनोज जायसवाल जी' की मदद से आपको जीमेल के कुछ एडवांस फीचर्स के बारे में बता रहे है उम्मीद है की आपको ये प्रयास पसंद आयेगा
बड़े काम के हैं फिल्टर(filter):
जीमेल पर आने वाले ईमेल संदेशों को तरह - तरह के पैमानों का इस्तेमाल कर फिल्टर किया जा सकता है।फिल्टर यानी कुछ खास कसौटियों का इस्तेमाल करते हुए संदेशों को छांटना। मिसाल के तौर पर ऐसा फिल्टर तैयार किया जा सकता है कि आपके बॉस की हर ईमेल अपने - आप इम्पॉर्टेंट मार्क होकर आए। अगर आप फेसबुक से आने वाली दर्जनों ईमेल से परेशान हैं तो एक फिल्टर तैयार कीजिए और ऐसी सभी ईमेल आपके देखने से भी पहले डिलीट हो जाएंगी। एक और बात। आपने तीन अलग - अलग जीमेल एकाउंट बना रखे हैं। लेकिन तीनों में आने वाली मेल को देखने की फ़ुरसत नहीं मिलती। तो क्यों न अपने दो ईमेल अकाउंट्स में फिल्टर तैयार कर उनमें आने वाली ईमेल को ऑटोमैटिकली तीसरे ईमेल एकाउंट को फॉरवर्ड कर दें ? उसके बाद बस तीसरा ईमेल एकाउंट देखते रहें।
फिल्टर ऐसे तैयार करें
अपना जीमेल इन - बॉक्स(inbox) खोलें और ऊपर दाईं और बने सेटिंग्स के निशान पर क्लिक करें। इसके बाद Settings->Filters->Create New Filter (सबसे नीचे ) पर क्लिक करें। अब खुले डायलॉग बॉक्स में कई तरह के पैमाने दिखाई देंगे। अगर आप किसी खास ईमेल पते से आने वाली ईमेल को डिलीट करना चाहते हैं तोFrom के आगे वह ईमेल एड्रेस लिखें। अब Create Filter With This Search लिंक दबाएं। अब कई विकल्प खुल जाएंगे , जैसे ऐसी ईमेल को डिलीट कर दें या फिर आर्काइव में डाल दें , वगैरह - वगैरह। यहां Delete it विकल्प चुनें और Create Filter दबाएँ। अगली बार उस पते से आने वाली कोई भी ईमेल खुद -ब - खुद डिलीट हो जाएगी।
पावर सर्च की (power search key):
ईमेल बॉक्स में कब देखते ही देखते सैकड़ों संदेश जमा हो जाते हैं पता ही नहीं चलता। और फिर अचानक किसी पुराने संदेश को ढूंढना हो तो मुश्किल। ऐसे मौके पर जीमेल की सर्च सुविधा का इस्तेमाल करें। ऊपर सर्च बॉक्स में भेजने वाले का नाम या फिर ईमेल एड्रेस या फिर संदेश में आया कोई शब्द लिखकर देखें। अगर थोड़ा बहुत अंदाजा है कि संदेश कितने महीने पहले आया होगा तो Date within... days of... में दिनों की संख्या और आज की तारीख भरकर देखें। फिर सर्च पर क्लिक करें और आपके दिए पैमाने पर खरे उतरने वाले ईमेल संदेश हाजिर हो जाएंगे। अपने इनबॉक्स को थोड़ा हल्का करना चाहते हैं ? तो सर्च पर क्लिक करें और जो बॉक्स खुले ,उसमें अटैचमेंट के आगे क्लिक कर लें। फिर ऐसे सभी संदेशों को डिलीट कर डालें।
बदलें इनबॉक्स का स्टाइल:
आप चाहें तो जीमेल के प्रायॉरिटी इनबॉक्स फीचर का उपयोग कर अपने जीमेल इनबॉक्स को तीन हिस्सों में बांट सकते हैं ताकि आपके संदेश बेहतर ढंग से ऑर्गनाइज दिखाई दें। इसके लिए सेटिंग्स आइकन पर क्लिक करनेके बाद Settings और फिर Inbox पर क्लिक करें। अब ऊपर Inbox Type के आगे जहां एक बॉक्स मेंClassic लिखा है , वहां क्लिक करें और Priority Inbox चुन लें और Save बटन दबाएँ। अब अपने इनबॉक्स में आकर देखें। आपके संदेश तीन हिस्सों में बांट दिए गए होंगे - Important and Unread, Starred और Everything Else. इतना ही नहीं , आप चाहें तो अपने जीमेल इनबॉक्स को आउटलुक ( विंडोज में चलने वाला माइक्रोसॉफ्ट का मेल मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर ) की तरह प्रिव्यू कर सकते हैं। इसे एक्टिव करने पर ईमेल संदेश को पढ़ने के लिए बार- बार नया पेज खोलने की जरूरत नहीं होगी। जिस पेज पर संदेशों की सूची है , उसी पेज पर ईमेल पढ़ सकेंगे आप। इसके लिए Settings आइकन पर क्लिक करने के बाद Settings->Labs->Preview Pane केआगे लिखे Enable रेडियो बटन पर क्लिक कर उसे चुन लें। अब नीचे Save Changes बटन पर क्लिककरें। इसके बाद इनबॉक्स में जाकर ऊपर दिए Toggle Split Pane Mode मेनू में Vertical Split कोचुन लें। अब देखिए , कुछ ही सेकंड में आपका इनबॉक्स दो हिस्सों में बंट जाएगा। बाईं तरफ संदेशों की सूची में से किसी एक पर क्लिक कीजिए। पूरी ईमेल दाईं तरफ खुल जाएगी।
बदलें ईमेल एड्रेस:
अपने एक ही जीमेल एड्रेस को आप अलग - अलग कामों के लिए अलग - अलग ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं।इसके लिए ईमेल एड्रेस में + निशान का इस्तेमाल करें। मिसाल के तौर पर दफ्तर के साथियों को अपना यह ईमेल एड्रेस बता सकते हैं - yourname+office@gmail.com. जब वे आपको इस पते पर ईमेल भेजेंगे तो वह बेरोकटोक आपके ओरिजनल ईमेल एड्रेस पर ही पहुंचेगा क्योंकि जीमेल + और उसके आगे के हिस्से को नज़रअंदाज़ कर देता है। लेकिन बाद में फिल्टर्स का इस्तेमाल कर आप ऐसे सभी संदेशों को अलग कैटिगरी में डाल सकेंगे , जो दफ्तर वालों ने भेजे। इसी तरह परिवार वालों को yourname+family@gmail.com,कॉलेज वालों को yourname+college@gmail.com ईमेल एड्रेस दे सकते हैं। आपके ईमेल संदेश अपनेआप कैटिगराइज होते चले जाएंगे और फिर उन पर फिल्टर या सर्च जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल बहुत आसान हो जाएगा।
संदेशों को दें अहमियत:
जीमेल ने स्टार के रूप में एक अच्छा फीचर दिया है जिसके तहत आप हर ईमेल संदेश के आगे स्टार का निशान लगाकर उसे खास संदेश के रूप में मार्क कर सकते हैं। लेकिन इनबॉक्स में हर संदेश के साथ स्टार का सिर्फ एक ही निशान उपलब्ध होता है। अगर आप चाहें तो एक से ज्यादा स्टार्स भी एक्टिव कर सकते हैं और फिर अपने संदेशों को उनकी अहमियत के लिहाज से अलग - अलग रंग के स्टार दे सकते हैं। यह फीचर जरूरी , कम जरूरी, सामान्य और बेकार संदेशों के बीच फर्क करना आसान कर देगा। इसे एक्टिव करने के लिए Settings के निशान पर क्लिक करने के बाद Settings->General पेज पर जाएं और अब नीचे बढ़ते हुए Stars विकल्प पर रुक जाएं। वहां दिए गए कई तरह के स्टार्स को माउस से ड्रैग एंड ड्रॉप करके Not In Use से In Use तकले जाएं। इसके बाद Save Changes बटन दबाएँ और देखें कि आपके संदेशों के साथ इस्तेमाल करने के लिए एक से ज्यादा स्टार उपलब्ध हो गए हैं। हर संदेश के आगे दिए स्टार के निशान पर एक से अधिक बार क्लिक करके देखें। हर बार अलग रंग का स्टार दिखाई देगा। इनमें से मनचाहे रंग का स्टार चुन लीजिए।
दो - दो कॉपी:
अगर आपको अपने जीमेल एकाउंट में आने वाली मेल के ग़लती से डिलीट हो जाने की आशंका है तो आप हर ईमेल की एक कॉपी किसी दूसरे ईमेल खाते में भेज सकते हैं। आपके जीमेल खाते में जो भी मेल आएगी , वह खुद- ब - खुद दूसरे ईमेल खाते में भी ( भले ही वह किसी दूसरी ईमेल सर्विस से जुड़ा हो ) पहुंच जाएगी। इसके लिएSettings आइकन पर क्लिक करने के बाद Settings->Forwarding And POP-IMAP पर क्लिक कीजिए। अब Forwarding सेक्शन में Add A Forwarding Address के सामने अपना दूसरा ईमेल एड्रेस लिख दें। अगर आपके कई जीमेल खाते हैं तो आप उन सबकी ईमेल इस तरीके से किसी एक ईमेल एकाउंट में मंगा सकते हैं।
रेडीमेड रिप्लायर:
अगर आपके पास बहुत ज्यादा ईमेल आते हैं और सबके जवाब देने के लिए समय नहीं है तो कोई बात नहीं ,जीमेल में पहले से ही कुछ ' रेडीमेड जवाब ' तैयार करके रख लीजिए और उन्हें भेजकर समय बचाइए। इसके लिए आपको Settings आइकन पर क्लिक करते हुए Settings->Labs तक पहुँचना होगा। अब दिखाई जाने वाली सूची में Canned Responses को Enable कर लीजिए। बदलावों को Save Changesबटन दबाकर सहेज लीजिए।
अब Inbox में आकर Compose बटन दबाइए। ईमेल संदेश के ठीक ऊपर Canned Responses लिंक दिखाई देगा जो अब तक स्टोर किए गए सभी रेडीमेड जवाबों को दिखाता है। यहीं पर New Canned Response लिंक भी दिखेगा , जिसे दबाकर आप नया रेडीमेड जवाब तैयार कर सकते हैं , जैसे - ' धन्यवाद ,मैं जल्दी ही आपको उत्तर भेजता हूं ', या फिर ' बड़े दिनों बाद याद किया। कैसे हैं ?' आदि आदि। बाद में किसी भी ईमेल का जवाब भेजने के लिए यहीं से रेडीमेड जवाबों को चुन लीजिए और दबा दीजिए Send बटन।
करें आर्काइव:
अपने जीमेल इनबॉक्स को साफ - सुथरा ( और खाली ) रखने के लिए ' आर्काइव ' सुविधा का प्रयोग करें। पुराने पड़ चुके ईमेल संदेशों को ' सलेक्ट ' करें और आर्काइव बटन दबाएँ। चुने हुए सभी संदेश इनबॉक्स से गायब हो जाएंगे। मगर वे गए कहां ? वे जीमेल में ही मौजूद हैं और आप चाहें तो बाईं तरफ दिए गए विकल्पों में All Mail लिंक दबाकर उन्हें देख सकते हैं।
"आज के लिए इतना ही गुल्लक को समय देने के लिए धन्यवाद!"
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April 03, 2013
खईके पान बनारस वाला
अभी हाल ही में टी. वी. पर पुरानी वाली डान एक बार फिर देखी, ये फिल्म जब भी देखता हुं
इसका सुपर हीट गीत "खईके पान बनारस वाला" को मिस नहीं करना चाहता ये गीत
मुझे बचपन से पसंद रहा है|
खास तौर से इस गाने की कोरियोग्राफी अमित जी का वो खास स्टाइल में पान खाते ही झूमना, बैकग्राउंड में भंगेडियो का तन्मयता से भंग पीसना बनारस की याद दिलाता है|
यूँ तो पान देशभर में खाया जाता है पर वाकई में पान के प्रति जूनून जो बनारस के लोगो में मैंने देखा है वो कही भी नहीं|
खास तौर से इस गाने की कोरियोग्राफी अमित जी का वो खास स्टाइल में पान खाते ही झूमना, बैकग्राउंड में भंगेडियो का तन्मयता से भंग पीसना बनारस की याद दिलाता है|
यूँ तो पान देशभर में खाया जाता है पर वाकई में पान के प्रति जूनून जो बनारस के लोगो में मैंने देखा है वो कही भी नहीं|
ये मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने जिंदगी बड़ा हिस्सा बनारस में बिताया और
दुर्भाग्य ये रहा कि तब मेरी उम्र पान खाने कि नहीं थी फिर भी चोरी छुपे खाते ही
थे|
बनारस में पान खाने और खिलाने का अंदाज ही निराला है पनवारी इस अंदाज में पान लगाकर अपने ग्राहक को देता है जैसे प्रतिष्ठा का कोई प्रमाणपत्र दे रहा हो और उस पान को ग्राहक अपने श्रीमुख में डालता भी एक अद्दभुत शैली में है|
पान मुँह में जाते ही गर्दन खुद-ब-खुद ऊपर हो जाती है क्युकि नीचे हुयी तो सारा माल बहार आ जाने का खतरा रहता है पान थूकना न पड़े इसलिए मुँह ऊपर उठा इशारों-इशारों ऐसे बाते होती है कि गुगा बहरा भी शरमा जाये, बड़े से बड़ा रुका हुआ काम हो या सरकारी दफ्तरों में फँसी कोई फाईल एक पान से आगे बढ़ जाती है और न जाने कितनी चप्पले घिसने से बच जाती है|
पान खिलाने का एहसान नमक खिलाने से भी बड़ा है बनारस में, आपसी मेल जोल और भाई चारा बढ़ाने में जो योगदान पान ने दिया है उतना तो शायद गाँधी और अन्ना जी ने भी नहीं दिया होगा|
ऑफिस, बस या फिर ट्रेनों में बड़े से बड़ा पेंटर जो स्प्रे पेंटिंग नहीं कर पाता बनारसी महज एक पिक में कर देते है, शादी ब्याह हो या कोई बड़ी - छोटी दावत बिन पान सब सुना, लोग मनाते है कि सुबह नाश्ता मिले न मिले बस एक बीड़ा पान का जुगाड़ हो जाय तो दिन अच्छा गुजरे|
बनारस में पान खाने और खिलाने का अंदाज ही निराला है पनवारी इस अंदाज में पान लगाकर अपने ग्राहक को देता है जैसे प्रतिष्ठा का कोई प्रमाणपत्र दे रहा हो और उस पान को ग्राहक अपने श्रीमुख में डालता भी एक अद्दभुत शैली में है|
पान मुँह में जाते ही गर्दन खुद-ब-खुद ऊपर हो जाती है क्युकि नीचे हुयी तो सारा माल बहार आ जाने का खतरा रहता है पान थूकना न पड़े इसलिए मुँह ऊपर उठा इशारों-इशारों ऐसे बाते होती है कि गुगा बहरा भी शरमा जाये, बड़े से बड़ा रुका हुआ काम हो या सरकारी दफ्तरों में फँसी कोई फाईल एक पान से आगे बढ़ जाती है और न जाने कितनी चप्पले घिसने से बच जाती है|
पान खिलाने का एहसान नमक खिलाने से भी बड़ा है बनारस में, आपसी मेल जोल और भाई चारा बढ़ाने में जो योगदान पान ने दिया है उतना तो शायद गाँधी और अन्ना जी ने भी नहीं दिया होगा|
ऑफिस, बस या फिर ट्रेनों में बड़े से बड़ा पेंटर जो स्प्रे पेंटिंग नहीं कर पाता बनारसी महज एक पिक में कर देते है, शादी ब्याह हो या कोई बड़ी - छोटी दावत बिन पान सब सुना, लोग मनाते है कि सुबह नाश्ता मिले न मिले बस एक बीड़ा पान का जुगाड़ हो जाय तो दिन अच्छा गुजरे|
बड़े से बड़े खुर्राट दरोगा, पुलिस और बाबुओ को १ पान पर पिघलते देखा है| पढ़ा लिखा नौजवान दिल्ली मुंबई कलकत्ता न जाने कहाँ - कहाँ से बेरोजगार ही जब वापस अपने शहर बनारस लौटता है तब उसके और उसके परिवार कि
जीविका का एकमात्र सहारा बनती है पान कि दुकान…
पान को जो सम्मान बनारस में प्राप्त है दुनिया में और कही नहीं....
March 26, 2013
होली ही हुडदंगी शुभकामनाये...
"गुल्लक के सभी पाठको को होली की रंग भरी शुभकामनाये"
दोस्तो ये पहली होली है जिसे मै अपने शहर (बनारस) के बाहर (दिल्ली) में मना रहा हूँ |पिछली होली की चर्चा तो मैंने आपसे अपने इस पोस्ट "होली का मज़ा तो बनारस मे है" में की ही थी अब देखते है इस बार होली कितनी रंगीन होती है...
फ़िलहाल तो बधायियो का दौर चल रहा है इसलिए मेरी ओर से भी अप सभी को होली ही हुडदंगी शुभकामनाये...
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