एक लड़की थी दीवानी सी
चेहरे पे नकाब डाल के गालियो से गुजारती थी...
एक लड़का लड़की पे मरता था...
लड़के ने लड़की से कहा अपना ये नाकाब हटा दो..
अपना चान्द सा मुखडा दिखा दो...
लड़की ने नकाब ना हटाया चान्द सा मुखड़ा ना दिखाया...
लड़का सात दिन तक नजर ना आया...
धीरे-धीरे लड़की की उलफत प्यार म बदलने लगी
प्यार मे बेबस होकर लड़की लड़के के घर पहुची...
पड़ोसी ने बतया तेरे प्यार म वक़्त यू गुजर गया...
उस वेचारे का जनाज़ा तो सात दिन पहले ही उठ गया...
पड़ोसी ने अपना फ़र्ज़ निभाया, लड़की को लड़के की क़ब्र तक पहुचाया.
लड़की क़ब्र पर सिर् रखकर रोने लगी...
तभी अन्दर से आवाज़ आई...
"वक़्त-वक़्त की बात है, कल तेरे चेहरे पे नकाब था आज मेरे चेहरे पे नकाब है."
बहुत बढ़िया कविता।
ReplyDelete--सबसे बड़ा पुण्य--
Chha gaye pravin
ReplyDeleteकुछ शब्दों को ठीक कर लें, हिन्दी के शब्दों के ठीक ढंग से न लिखा जाए तो पढ़ने का मज़ा चला जाता है।
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