अभी हाल ही में टी. वी. पर पुरानी वाली डान एक बार फिर देखी, ये फिल्म जब भी देखता हुं
इसका सुपर हीट गीत "खईके पान बनारस वाला" को मिस नहीं करना चाहता ये गीत
मुझे बचपन से पसंद रहा है|
खास तौर से इस गाने की कोरियोग्राफी अमित जी का वो खास स्टाइल में पान खाते ही झूमना, बैकग्राउंड में भंगेडियो का तन्मयता से भंग पीसना बनारस की याद दिलाता है|
यूँ तो पान देशभर में खाया जाता है पर वाकई में पान के प्रति जूनून जो बनारस के लोगो में मैंने देखा है वो कही भी नहीं|
खास तौर से इस गाने की कोरियोग्राफी अमित जी का वो खास स्टाइल में पान खाते ही झूमना, बैकग्राउंड में भंगेडियो का तन्मयता से भंग पीसना बनारस की याद दिलाता है|
यूँ तो पान देशभर में खाया जाता है पर वाकई में पान के प्रति जूनून जो बनारस के लोगो में मैंने देखा है वो कही भी नहीं|
ये मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने जिंदगी बड़ा हिस्सा बनारस में बिताया और
दुर्भाग्य ये रहा कि तब मेरी उम्र पान खाने कि नहीं थी फिर भी चोरी छुपे खाते ही
थे|
बनारस में पान खाने और खिलाने का अंदाज ही निराला है पनवारी इस अंदाज में पान लगाकर अपने ग्राहक को देता है जैसे प्रतिष्ठा का कोई प्रमाणपत्र दे रहा हो और उस पान को ग्राहक अपने श्रीमुख में डालता भी एक अद्दभुत शैली में है|
पान मुँह में जाते ही गर्दन खुद-ब-खुद ऊपर हो जाती है क्युकि नीचे हुयी तो सारा माल बहार आ जाने का खतरा रहता है पान थूकना न पड़े इसलिए मुँह ऊपर उठा इशारों-इशारों ऐसे बाते होती है कि गुगा बहरा भी शरमा जाये, बड़े से बड़ा रुका हुआ काम हो या सरकारी दफ्तरों में फँसी कोई फाईल एक पान से आगे बढ़ जाती है और न जाने कितनी चप्पले घिसने से बच जाती है|
पान खिलाने का एहसान नमक खिलाने से भी बड़ा है बनारस में, आपसी मेल जोल और भाई चारा बढ़ाने में जो योगदान पान ने दिया है उतना तो शायद गाँधी और अन्ना जी ने भी नहीं दिया होगा|
ऑफिस, बस या फिर ट्रेनों में बड़े से बड़ा पेंटर जो स्प्रे पेंटिंग नहीं कर पाता बनारसी महज एक पिक में कर देते है, शादी ब्याह हो या कोई बड़ी - छोटी दावत बिन पान सब सुना, लोग मनाते है कि सुबह नाश्ता मिले न मिले बस एक बीड़ा पान का जुगाड़ हो जाय तो दिन अच्छा गुजरे|
बनारस में पान खाने और खिलाने का अंदाज ही निराला है पनवारी इस अंदाज में पान लगाकर अपने ग्राहक को देता है जैसे प्रतिष्ठा का कोई प्रमाणपत्र दे रहा हो और उस पान को ग्राहक अपने श्रीमुख में डालता भी एक अद्दभुत शैली में है|
पान मुँह में जाते ही गर्दन खुद-ब-खुद ऊपर हो जाती है क्युकि नीचे हुयी तो सारा माल बहार आ जाने का खतरा रहता है पान थूकना न पड़े इसलिए मुँह ऊपर उठा इशारों-इशारों ऐसे बाते होती है कि गुगा बहरा भी शरमा जाये, बड़े से बड़ा रुका हुआ काम हो या सरकारी दफ्तरों में फँसी कोई फाईल एक पान से आगे बढ़ जाती है और न जाने कितनी चप्पले घिसने से बच जाती है|
पान खिलाने का एहसान नमक खिलाने से भी बड़ा है बनारस में, आपसी मेल जोल और भाई चारा बढ़ाने में जो योगदान पान ने दिया है उतना तो शायद गाँधी और अन्ना जी ने भी नहीं दिया होगा|
ऑफिस, बस या फिर ट्रेनों में बड़े से बड़ा पेंटर जो स्प्रे पेंटिंग नहीं कर पाता बनारसी महज एक पिक में कर देते है, शादी ब्याह हो या कोई बड़ी - छोटी दावत बिन पान सब सुना, लोग मनाते है कि सुबह नाश्ता मिले न मिले बस एक बीड़ा पान का जुगाड़ हो जाय तो दिन अच्छा गुजरे|
बड़े से बड़े खुर्राट दरोगा, पुलिस और बाबुओ को १ पान पर पिघलते देखा है| पढ़ा लिखा नौजवान दिल्ली मुंबई कलकत्ता न जाने कहाँ - कहाँ से बेरोजगार ही जब वापस अपने शहर बनारस लौटता है तब उसके और उसके परिवार कि
जीविका का एकमात्र सहारा बनती है पान कि दुकान…
पान को जो सम्मान बनारस में प्राप्त है दुनिया में और कही नहीं....
वाह दुबे जी आपने जो पान की महिमा का गुणगान किया है इसको इससे अच्छा और कोई नही कर सकता | साभार धन्यवाद् .......
ReplyDeleteधन्यवाद आशीष जी..
Deleteबिलकुल सही,बनारस के पान का कोई मुकाबला नही.
ReplyDeleteहमारे यंहा तो पान की कोई दूकान ही नहीं हैं पान खाने के लिए मुझे मेरे गाँव से २५० कम दूर बीकानेर जाना पड़ेगा ,बीकानेर के नाम से हेमा मालिनी की याद आ जाती उन पर भी कुछ लिखिए :)उनका गाना तो आपने सुना होगा मेरा नाम हे चमेली :-)
ReplyDeleteबनारस में आपका हार्दिक स्वागत है दिलीप जी जब इच्छा हो अवश्य पधारे...
DeleteDon to maine bhi kayi baar dekhi hai praveen bhaiya lekin itni gahrayi se nahi... :)
ReplyDeletepaan ka ek dukan khol lo
ReplyDeletepan to ab ap ki shadi me hi khayenge sir ji
ReplyDeletepan to ab ap ki shadi me hi khayenge
ReplyDeleteexam time me teacher ko paan khilane se number bhi badhta hai sir apke banaras me?
ReplyDeleteexam time me teacher ko paan khilane se number badhane ki guarantee to nahi hoti pr agr paan khake padhayi ki jaye exam time to number achhe aate hai..
ReplyDeletePravin ji aap ka blog kafi accha lagta h mai bhi thora likh leta hu. Aap ke lekhni ki tarah aap ka blog bhi kafi sundar h kirpya ka thori jankari denge ki aap ne itna sundar ise kaise banaya plz. :-)
ReplyDeleteप्रभात जी तारीफ का शुक्रिया हमारी शुभकामनाये आप के साथ है कि आप खूब लिखे और अच्छा लिखे..
DeleteBahot khub dubey ji...
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ReplyDeleteadbhut pravin bhaiya ,, bahut dino bad aj blog par aya ,,kya mast likho ho..ab mere browser ki fav list me add ho gya ye blog
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद, बस जो महसूस किया लिख दिया.. ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहो गुल्लक भरता रहेगा..
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