डॉलर का पत्र रुपये के नाम

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August 20, 2013

डॉलर का पत्र रुपये के नाम

मेरे प्यारे रुपये,
मुझे तुमसे हमदर्दी है. लेकिन अपनी बिगड़ती सेहत के लिए मुझे दोष मत देना. बुरा न मानना यार, लेकिन तुम्हें तो गिरना ही था. तुम्हारे यहां राजनीति से लेकर समाज तक हर फील्ड में गिरावट है. जब सब गिरे हुए हों तो तुम्हें संभालने की फिक्र करेगा भी कौन? गिरना तुम्हारी नियति है दोस्त.

मेरे प्यारे रुपये, मुझे तो मज़बूत होना ही है. यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और यही कुदरत का नियम भी है क्योंकि मैं अमरीका में पैदा हुआ हूं. कुदरत अमरीका की मुट्ठी में है. अमरीका में पैदा होने की अहमियत और रौब भला तुम क्या जानो? ज़रा अपने पीएम इन वेटिंग से ही पूछ लो, जिन्हें वीजा पाने तक के लिए कितनी जुगत भिड़ानी पड़ रही है.

मेरे प्यारे रुपये, मुझसे ईष्या मत करना. मुझे मजबूत होना ही है क्योंकि मुझे ओबामा की लाज रखनी है. वैसे भी मैं दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क की मुद्रा हूं. गिरना मेरी शान के ख़िलाफ़ है. यह शान बड़ी चीज़ है. शान के लिए हमने दो मुल्क़ों, ईराक और अफगानिस्तान को तबाह करने से भी गुरेज नहीं किया. वैसे भी, मैं भला कैसे गिर सकता हूं? मुझे तो दूसरों की मुद्रा गिराने में मज़ा आता है. तभी तो दुनिया पर मेरा सिक्का चल रहा है.

मेरे प्यारे रुपये, तुम मुझसे ज्यादा उम्मीद मत रखो. तुम अपने प्याज तक को ऊपर चढ़ने से नहीं रोक पा रहे तो भला मैं भी तुम्हारी क्यों परवाह करूं? मेरी सलाह है कि किसी अच्छे वैद्य से अपना इलाज करवाओ. लेकिन याद रखना ‘यस वी कैन’ कह देने भर से तुम अमरीकन नहीं हो जाओगे.

मेरे प्यारे रुपये, मैंने सुना है कि गिरे हुए को उठाना तुम्हारे यहां बड़े पुण्य काम माना जाता है. लेकिन यार तुम तो इत्ता नीचे गिर चुके हो कि तुम्हें उठाने के बारे में पुण्य भी लाख बार सोचे. अब मैं और क्या कहूं? कम लिखा है ज्यादा समझना. इसी में तुम्हारी भलाई है. 

तुम्हारा शुभेच्छुक- 
डॉलर.

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  2. Great work please keeps it up!

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    1. thanks alot Mr. Marik,
      I will try do the best..

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} (25-08-2013) को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद् ललित जी आपका
      कृपया आप भी गुल्लक पर आते रहे कुछ न कुछ निकलता रहेगा..!!

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