फोन पर नेटवर्क की बात होते ही आजकल 2G, 3G, और 4G की बात होने लगती है. फोन के सिग्नल को रिसीव करने वाले मोबाइल सेटों में भी मॉडल को इससे जाना जाने लगा है.
कभी जीएसएम, सीडीएमए सिग्नल वाले मोबाइल फोन ही लोगों को समझ में आते थे. जीएसएम सिग्नलों वाले मोबाइल की बहार होती थी. सीडीएमए सेट भी लोगों की पसंद बनें. सीडीएमए तकनीक में आपका फोन ही वायरलेस डेटा या सिग्नल का रिसीवर होता है. बाकी फोन्स में इसके लिए सिम की जरूरत पड़ती है.
पहले समझ लेते हैं कि पहले इनके पूरे अर्थ क्या हैं -
जीएसएम: ग्लोबल स्टैंडर्ड फॉर मोबाइल्स (ये एक तकनीक है).
सीडीएमए: कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस (ये भी एक तकनीक है).
2G: जीएसएम सेवा ही बाद में 2G के तौर पर विकसित हुई. जिसमें जीपीआरएस और एज सर्विस (EDGE) के जरिए पैकेट डेटा की सुविधा मिलने लगी. जिससे आप किसी भी मोबाइल पर मेल और इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. 2G, 3G और 4G सेवा का मतलब है कि आपके फोन पर बातचीत और एसएमएस के अलावा डेटा संबंधित सारी सुविधाओं के लिए डेटा रिसीव करने की तकनीक. G का अर्थ है जेनेरेशन. इसलिए 2जी का ज्यादा विकसित रूप 3जी और इससे ज्यादा उन्नत 4जी.
फोन पर बातचीत की सुविधा के लिए सिग्नल या फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल के शुरूआती समय में पीटीटी(पुश टू टॉक) या एमटीएस(मोबाइल टेलीफोन सिस्टम) तकनीक का इस्तेमाल होता था. जब तक एनालॉग सिग्नल पर फोन चलता रहा, तब तक इसे 1G तकनीक के नाम से भी जाना गया. 1G और 2G का मुख्य अंतर था मोबाइल संचार का एनालॉग से डिजीटल होना.
1G तकनीक में गति की सीमा 28 किलोबिट/सेकेंड से 56 किलोबिट/सेकेंड थी. जापान की एनटीटी कंपनी ने 1G को पहली बार व्यावसायिक तौर पर 1979 में लॉन्च किया. 2G यानि सेकेंड जेनेरेशन वायरलेस टेलीफोन टेक्नोलॉजी में खासियत थी कि इसी से मोबाइल में डेटा सर्विस की शुरूआत हुई. सबसे बड़ा बदलाव था 2G सेवा से ही एसएमएस (SMS) सेवा की शुरूआत. 2जी में डेटा डिजिटल इन्क्रिप्शन शुरू होने से टेक्स्ट मैसेज भेजा जाना संभव हुआ. जो बाद में फोटो मैसेज और एमएमएस(MMS) भेजने तक पहुंचा. 3जी सेवा में डेटा की सेवा को 200 किलोबिट/ सेकेंड तक जा पहुंची. इस मोबाइल संचार सेवा से जरिए किसी भी फोन पर इंटरनेट एक्सेस ज्यादा तेज, वीडियो कॉलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मोबाइल टीवी सुविधा मिलने लगी.
जापान में ही एनटीटी और डोकोमो ने 3जी को पहली बार लॉन्च किया था. 4G मोबाइल सेवा में मोबाइल वेब एक्सेस, ऑनलाइन गेम खेलने के लिए उन्नत डेटा रिसीविंग, एचडी टीवी, और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी.
4जी की शुरूआत 2006 में दक्षिण कोरिया के मोबाइल वाइमैक्स स्टैंडर्ड से हुई. इसके बाद 2009 में ओस्लो, नार्वे, स्टॉकहोम और स्वीडन में लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन(एलटीई) जारी किया गया. 4 जी सेवा के मानकों के अनुसार इसमें डेटा फ्लो 100 मेगाबिट पर सेकेंड होना चाहिए.
भारत में जल्द ही 4G सेवा बड़े तौर पर शुरु होने वाली है.
कभी जीएसएम, सीडीएमए सिग्नल वाले मोबाइल फोन ही लोगों को समझ में आते थे. जीएसएम सिग्नलों वाले मोबाइल की बहार होती थी. सीडीएमए सेट भी लोगों की पसंद बनें. सीडीएमए तकनीक में आपका फोन ही वायरलेस डेटा या सिग्नल का रिसीवर होता है. बाकी फोन्स में इसके लिए सिम की जरूरत पड़ती है.
पहले समझ लेते हैं कि पहले इनके पूरे अर्थ क्या हैं -
जीएसएम: ग्लोबल स्टैंडर्ड फॉर मोबाइल्स (ये एक तकनीक है).
सीडीएमए: कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस (ये भी एक तकनीक है).
2G: जीएसएम सेवा ही बाद में 2G के तौर पर विकसित हुई. जिसमें जीपीआरएस और एज सर्विस (EDGE) के जरिए पैकेट डेटा की सुविधा मिलने लगी. जिससे आप किसी भी मोबाइल पर मेल और इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. 2G, 3G और 4G सेवा का मतलब है कि आपके फोन पर बातचीत और एसएमएस के अलावा डेटा संबंधित सारी सुविधाओं के लिए डेटा रिसीव करने की तकनीक. G का अर्थ है जेनेरेशन. इसलिए 2जी का ज्यादा विकसित रूप 3जी और इससे ज्यादा उन्नत 4जी.
फोन पर बातचीत की सुविधा के लिए सिग्नल या फ्रीक्वेंसी इस्तेमाल के शुरूआती समय में पीटीटी(पुश टू टॉक) या एमटीएस(मोबाइल टेलीफोन सिस्टम) तकनीक का इस्तेमाल होता था. जब तक एनालॉग सिग्नल पर फोन चलता रहा, तब तक इसे 1G तकनीक के नाम से भी जाना गया. 1G और 2G का मुख्य अंतर था मोबाइल संचार का एनालॉग से डिजीटल होना.
1G तकनीक में गति की सीमा 28 किलोबिट/सेकेंड से 56 किलोबिट/सेकेंड थी. जापान की एनटीटी कंपनी ने 1G को पहली बार व्यावसायिक तौर पर 1979 में लॉन्च किया. 2G यानि सेकेंड जेनेरेशन वायरलेस टेलीफोन टेक्नोलॉजी में खासियत थी कि इसी से मोबाइल में डेटा सर्विस की शुरूआत हुई. सबसे बड़ा बदलाव था 2G सेवा से ही एसएमएस (SMS) सेवा की शुरूआत. 2जी में डेटा डिजिटल इन्क्रिप्शन शुरू होने से टेक्स्ट मैसेज भेजा जाना संभव हुआ. जो बाद में फोटो मैसेज और एमएमएस(MMS) भेजने तक पहुंचा. 3जी सेवा में डेटा की सेवा को 200 किलोबिट/ सेकेंड तक जा पहुंची. इस मोबाइल संचार सेवा से जरिए किसी भी फोन पर इंटरनेट एक्सेस ज्यादा तेज, वीडियो कॉलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मोबाइल टीवी सुविधा मिलने लगी.
जापान में ही एनटीटी और डोकोमो ने 3जी को पहली बार लॉन्च किया था. 4G मोबाइल सेवा में मोबाइल वेब एक्सेस, ऑनलाइन गेम खेलने के लिए उन्नत डेटा रिसीविंग, एचडी टीवी, और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी सुविधाएं मिलने लगेंगी.
4जी की शुरूआत 2006 में दक्षिण कोरिया के मोबाइल वाइमैक्स स्टैंडर्ड से हुई. इसके बाद 2009 में ओस्लो, नार्वे, स्टॉकहोम और स्वीडन में लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन(एलटीई) जारी किया गया. 4 जी सेवा के मानकों के अनुसार इसमें डेटा फ्लो 100 मेगाबिट पर सेकेंड होना चाहिए.
भारत में जल्द ही 4G सेवा बड़े तौर पर शुरु होने वाली है.
रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी
ReplyDeletehttp://dehatrkj.blogspot.com
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