विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनारस जिसके बारे में कहा जाता है कि -
"सांड, सीढ़ी, सन्यासी, यहाँ विराजे बाबा विश्वनाथ अविनाशी"
बनारस का नाम वाराणसी कब और कैसे पड़ा ये तो पता नही लेकिन मेरा अनुमान है वरुणा और अस्सी को मिलाके इसका नाम वाराणसी रखा गया होगा क्युकि घाटो का शहर बनारस में घाटो कि गिनती वरुणा से अस्सी तक ही होती है जो लगभग 100 के आस पास है |यु तो हर घाट का अपना महत्व, अपनी परम्परा अलग अलग है पर कुछ चीज़े एक समान ही है जैसे -
सीढियों पे बैठे 'सांड बाबा' मंत्री आये या बम्म फूटे सांड बाबा टस से मस नही होते उनकी जब मर्जी होगी तभी रास्ता देंगे, आप उनके उपर से गुजर जाये कोई फर्क नही बस वो मूड में न हो तो..
उन्ही के बगल में ध्यान लगाये बैठे संन्यासी महाराज ऐसे बैठे मिलेंगे जैसे परमात्मा स्वयं इनसे मिलने आने ही वाले है रस्ते में देर हो रही होगी, भभूती, योग, ध्यान देखकर आप भ्रमित हो सकते है कि "कही मै हिमालय में तो नहीं!!"
और अपनी उम्र से अधिक भाषाओ के जानकार बच्चे जो दिखने में मैले कुचले लेकिन तजुर्बा और खुद पर भरोसा इतना कि मिटटी को सोना बताकर बेच दे और बड़े बड़े मार्केटिंग मेनेजर उनके पैर छू के वापस आजाये |
एक अलग ही दुनिया बसी है घाटो के किनारे जो सारी दुनिया से अलग ही लगती है जिसको जितना समझने कि कोशिश करो उतना उलझ जाती है |
प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों(लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है, और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"
वाराणसी में अस्सी घाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी घाटों सूची इस प्रकार से है:
- अस्सी घाट
- गंगामहल घाट
- रीवां घाट
- तुलसी घाट
- भदैनी घाट
- जानकी घाट
- माता आनंदमयी घाट
- जैन घाट
- पंचकोट घाट
- प्रभु घाट
- चेतसिंह घाट
- अखाड़ा घाट
- निरंजनी घाट
- निर्वाणी घाट
- शिवाला घाट
- गुलरिया घाट
- दण्डी घाट
- हनुमान घाट
- प्राचीन हनुमान घाट
- मैसूर घाट
- हरिश्चंद्र घाट
- लाली घाट
- विजयानरम् घाट
- केदार घाट
- चौकी घाट
- क्षेमेश्वर घाट
- मानसरोवर घाट
- नारद घाट
- राजा घाट
- गंगा महल घाट
- पाण्डेय घाट
- दिगपतिया घाट
- चौसट्टी घाट
- राणा महल घाट
- दरभंगा घाट
- मुंशी घाट
- अहिल्याबाई घाट
- शीतला घाट
- प्रयाग घाट
- दशाश्वमेघ घाट
- राजेन्द्र प्रसाद घाट
- मानमंदिर घाट
- त्रिपुरा भैरवी घाट
- मीरघाट घाट
- ललिता घाट
- मणिकर्णिका घाट
- सिंधिया घाट
- संकठा घाट
- गंगामहल घाट
- भोंसलो घाट
- गणेश घाट
- रामघाट घाट
- जटार घाट
- ग्वालियर घाट
- बालाजी घाट
- पंचगंगा घाट
- दुर्गा घाट
- ब्रह्मा घाट
- बूँदी परकोटा घाट
- शीतला घाट
- लाल घाट
- गाय घाट
- बद्री नारायण घाट
- त्रिलोचन घाट
- नंदेश्वर घाट
- तेलिया- नाला घाट
- नया घाट
- प्रह्मलाद घाट
- रानी घाट
- भैंसासुर घाट
- राजघाट
- आदिकेशव या वरुणा संगम घाट
रोचक और ज्ञानवर्द्धक जानकारी ।। धन्यवाद।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : एलोवेरा (घृतकुमारी) के लाभ और गुण।
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