आज मन्ना डे के निधन कि खबर पढ़ते ही मन 15 साल पीछे चला गया |
बात उस ज़माने की है जब करीब 10-11 साल का था उन दिनों फिल्म देखने का एक मात्र साधन दूरदर्शन हुआ करता था और गाने सुनने के लिए रेडिओ उसी दौरान मैंने फिल्म देखि पड़ोसन और मै महमूद साहब का मुरीद हो गया खास तौर पे उनके गाये गाने "एक चत्तुरनार" बेहद पसंद था जब भी रंगोली या चित्रहार में ये गाना आता तो मै मिस नही करना चाहता था, कुछ ही दिनों बाद मैंने फिल्म आनंद का गाना "जिंदगी कैसी है पहेली हाये" देखा तो सोचा की राजेश खन्ना और महमूद की आवाज कितनी मिलती जुलती है|
बातों बातों में जब ये बात मैंने अपने नानाजी के सामने कह दीया तब उन्होंने मुझे बताया कि असल में ये लोग सिर्फ होंठ हिलाते इसके पीछे आवाज किसी और की होती है जिसे गायक कहा जाता है और इन गानों को जिसने गया है वो है -
"मन्ना डे" फिर उन्होंने मुझे इनके 2 - 4 गाने और दिखाए जो अलग अलग हीरो पे फिल्माए गये थे और थोडा बहुत अपनी जानकारी के अनुसार उन्होंने मुझे 'मन्ना डे जी' के बारे में बताया|
उस दिन मुझे 2 बाते पता चली कि परदे पर हीरो सिर्फ होंठ हिलाते है और जितने भी सुरीले अच्छे गाने है उनको मन्ना डे गाते है|
हलाकि आगे चल के मेरा ये भ्रम टूट गया लेकिन फिर भी मन्ना डे साहब के लिए दिल सॉफ्ट जगह हमेशा रही, उनकी खासियत थी कि वो कभी किसी हीरो कि आवाज नही बने उन्होंने कभी एक्टर के नहीं लिए बल्कि उसके द्वारा निभाए जाने वाले किरदार के लिए गाया इसीलिए उनकी आवाज सभी पर फिट बैठ जाती थी |
यह बहुत दुख की घड़ी तो जरूर है कि वो अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन मन्ना डे एक भरी-पूरी उम्र जी कर गए और हमारी भारतीय परंपरा है कि जो इंसान सब कुछ देख कर जाता है, उसके जाने का अफसोस नहीं मनाया जाता। फिर मन्ना डे तो इतना कुछ हासिल किया कि कोई एक जन्म में इतना कुछ पा ही नहीं सकता। नेशनल अवार्ड, पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के अवार्ड और भी न जाने क्या-क्या। लोग उन्हें मिस करेंगे, फिल्म इंडस्ट्री भी उन्हें मिस करेगी लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे जेहन में रहेंगी। जो गाने वह गा गए वह कभी भी भुलाए नहीं जा सकेंगे और उनकी आवाज जब भी गूंजेगी वह सुकून ही देगी।
मन्ना डे जैसे कलाकार विरले ही जन्म लेते हैं .उनको विनम्र श्रद्धांजलि.
ReplyDeleteनई पोस्ट : उत्सवधर्मिता और हमारा समाज
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