गुल्लक की ओर से अपने सभी पाठको को मकर संक्रांति (खिचड़ी) की शुभकामनाये जिस प्रकार तिल और गुड़ के मिलने से मीठे-मीठे लड्डू बनते हैं उसी प्रकार विविध रंगों के साथ जिंदगी में भी खुशियों की मिठास बनी रहे। जीवन में नित नई ऊर्जा का संचार हो और पतंग की तरह ही सभी सफलता के शिखर तक पहुंचे।
मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जिसे सम्पूर्ण भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। आज देश भर में मकर संक्रांति की धूम है तो हमने भी सोचा चलो पड़ताल किया जाये कि क्या है ये संक्रांति? और क्या महत्व है इसका? क्यों ये हर साल जनवरी को ही मनायी जाती है?
- पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण की ओर गति करता है इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी भी कहते हैं।
- हिन्दू ग्रंथों में इस दिन का विशेष महत्व है। भीष्म पितामह ने मृतक शैय्या पर लेटे हुए इसी दिन को अपने प्राण त्यागने हेतु चुना था। ऐसा विश्वास किया जाता है कि जो व्यक्ति उत्तरायण अवधि में मृत्यु को प्राप्त करता है वह जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। गीता के अनुसार जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है वह श्रीकृष्ण के परम धाम में वास करता है।
- पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान एक पिता के रूप में अपने पुत्र शनि के यहां मिलने जाते हैं तथा वहां एक माह तक निवास भी करते हैं इसीलिए इस दिन को पिता-पुत्र संबंधों के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे सिर्फ संक्रांति नाम से ही जाना जाता है। नेपाल में इसे माधे संक्रांति, सूर्योत्तरायण और थारू समुदाय में माधी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भारत के कुछ हिस्सों में पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व है।
- वर्ष 2014 में जनवरी की 14 तारीख को मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि में मकर संक्राति का पावन पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार यह एक दुर्लभ संयोग है जोकि 144 साल के बाद पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में यह अवसर दान पर्व के रूप में मनाया जाता है। इलाहाबाद में इस पर्व को माघ मेले के नाम से जाना जाता है। माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्राति से शुरू होकर शिवरात्रि तक चलता है। संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान को महत्वपूर्ण माना जाता है।
- उत्तर भारत में पहले इस माह में शादी-ब्याह नहीं होते थे लेकिन समय के साथ परम्पराएं भी बदल गई हैं। इस दिन तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में यह पर्व खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन तिल व तिल से बनी चीजों के दान के साथ खिचड़ी का दान भी विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है।
- इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और यह तारीख ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार लगभग 14 जनवरी पर ही होता है। पारंपरिक भारतीय कैलेंडर मूलत: चंद्रमा की अवस्थाओं पर आधारित है लेकिन संक्रांति सूर्य पर आधारित होती है। इसी कारण ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार सभी हिंदू त्यौहारों की तारीख बदलती रहती है लेकिन मकर संक्राति की तारीख सामान्यत: काफी समय से प्रत्येक वर्ष की तारीख 14 जनवरी पर ही स्थिर है।
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