दिल्ली में देर से चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी चाहे बीजेपी की कितनी खिंचाई क्यों न कर लें मगर इसमें दो राय नहीं कि इस देरी का सबसे ज्यादा फायदा ‘आप’ और केजरीवाल को ही होगा। ये सोचकर ही आउट ऑफ सिलेबस सवाल देखने वाले बच्चे की तरह मेरा सिर चकरा जाता है कि दिसंबर—जनवरी के बजाए दिल्ली चुनाव गर्मी में हो गए होते तो केजरीवाल बिना मफलर रैलियां करते कैसे लगते। गर्मी में जब कभी उन्हें बिना मफलर के देखा तो लगा किसी ने उनकी ताकत छीन ली है। वो वैसे ही लगे जैसे ‘लम्हे’ में बिना मूंछ के अनिल कपूर।
मफलर इस हद तक उनकी जान और पहचान बन चुका है कि कुछ लोगों का कहना है कि अगर वे एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहें तो एक सीट से अपनी जगह मफलर को चुनाव लड़वा सकते हैं। बीजेपी को रत्तीभर भी अंदाज नहीं था कि जिन केजरीवाल को फ्रस्ट्रेट करने के लिए वो चुनाव लटका रही है, वही लटके केजरीवाल ठंड आते—आते मफलर का दामन थाम लेंगे। आम आदमी पार्टी केजरीवाल को कितना भी विश्वसनीय चेहरा क्यों न मानें मगर जून में चुनाव होते तो शायद बिना मफलर उन्हें कोई पहचानता तक नहीं। खुद उन्होंने पासपोर्ट में बर्थ मार्क में निशानी के रूप में मफलर लिखवा रखा है और जेब में वोटर आईडी कार्ड की जगह भयकंर गर्मियों में भी वो मफलर साथ रखते हैं।
वे अपने मफलर से वही आत्मविश्वास पाते हैं जो नरेंद्र मोदी को अपनी नेहरू जैकेट से मिलता है। मेरा मानना है कि मोदी का दाहिना हाथ अमित शाह नहीं, उनकी जैकेट है। खबरें यहां तक है कि दिल्ली में केजरीवाल के मुकाबले बीजेपी मोदी जी की जैकेट को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है।
कपड़े किसी भी इंसान का तकिया कलाम, उसका हैल्पिंग वर्ब होते हैं। इसे छीन लें तो वह लटपटाने लगता है। राहुल बाबा का एंगरी यंग मैन का रूप निकलकर सामने आए इसके लिए जम्रूरी नहीं है कि उन्हें दी गई स्क्रिप्ट अच्छी हो, बल्कि शर्त ये है कि उन्होंने फुल स्लीव का कुर्ता पहना हो ताकि बोलते—बोलते वो बाहें ऊपर चढ़कर गु्स्सा दिखा सकें।
(लेखक परिचय: - नीरज बधवार सक्रिय साहित्यकार एवं आलोचक)
मफलर इस हद तक उनकी जान और पहचान बन चुका है कि कुछ लोगों का कहना है कि अगर वे एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ना चाहें तो एक सीट से अपनी जगह मफलर को चुनाव लड़वा सकते हैं। बीजेपी को रत्तीभर भी अंदाज नहीं था कि जिन केजरीवाल को फ्रस्ट्रेट करने के लिए वो चुनाव लटका रही है, वही लटके केजरीवाल ठंड आते—आते मफलर का दामन थाम लेंगे। आम आदमी पार्टी केजरीवाल को कितना भी विश्वसनीय चेहरा क्यों न मानें मगर जून में चुनाव होते तो शायद बिना मफलर उन्हें कोई पहचानता तक नहीं। खुद उन्होंने पासपोर्ट में बर्थ मार्क में निशानी के रूप में मफलर लिखवा रखा है और जेब में वोटर आईडी कार्ड की जगह भयकंर गर्मियों में भी वो मफलर साथ रखते हैं।
वे अपने मफलर से वही आत्मविश्वास पाते हैं जो नरेंद्र मोदी को अपनी नेहरू जैकेट से मिलता है। मेरा मानना है कि मोदी का दाहिना हाथ अमित शाह नहीं, उनकी जैकेट है। खबरें यहां तक है कि दिल्ली में केजरीवाल के मुकाबले बीजेपी मोदी जी की जैकेट को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है।
कपड़े किसी भी इंसान का तकिया कलाम, उसका हैल्पिंग वर्ब होते हैं। इसे छीन लें तो वह लटपटाने लगता है। राहुल बाबा का एंगरी यंग मैन का रूप निकलकर सामने आए इसके लिए जम्रूरी नहीं है कि उन्हें दी गई स्क्रिप्ट अच्छी हो, बल्कि शर्त ये है कि उन्होंने फुल स्लीव का कुर्ता पहना हो ताकि बोलते—बोलते वो बाहें ऊपर चढ़कर गु्स्सा दिखा सकें।
(लेखक परिचय: - नीरज बधवार सक्रिय साहित्यकार एवं आलोचक)
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteMy developer is trying to convince me to move to .net from PHP.
ReplyDeleteI have always disliked the idea because of the expenses.
But he's tryiong none the less. I've been using Movable-type on a number of websites for
about a year and am nervous about switching to another platform.
I have heard very good things about blogengine.net.
Is there a way I can transfer all my wordpress posts into it?
Any help would be greatly appreciated!
My webpage - Two person Kayak; youtube.com,
Hi there, I check youhr blogs on a regular basis.
ReplyDeleteYour humoristic style is awesome, keep up the good work!
Heere is my blog post: cars 3 posters