मुहल्ले का वो लड़का, जो पढ़ने में सबसे तेज़ था,
ग्यारहवीं क्लास में आते आते, चश्मा पहनने लगा था|
इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए, दिन रात एक करता था
Coaching वाली लड़की जो, Irodov और H.C Verma की किताब में,
friction वाले सवाल की तरह अटक गयी थी;
उस लड़की को दूर भगाता था, बस एक बार इंजीनियर बन जाये,
तो लड़की के घर जाकर, हीरो माफ़िक हाथ मांग लेगा उसका,
अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग का कुल इतना ही मतलब समझता था|
लड़का इंजीनियर बन गया, सुना है बड़ी कंपनी में नौकरी भी करता है,
कंपनी में और भी ना जाने कितने मुहल्लों के, पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के हैं
कंपनी जैसे हजारों मुहल्ले निगल जाती हो;
लड़के के मुहल्ले के कई लड़के, उसके जैसा होना चाहते हैं
चश्में का नंबर बढ़ गया है, अच्छे मेहंगे चश्में से भी वो, coaching वाली लड़की साफ नहीं दिखती,
वो ऐसे ही किसी दूसरे मुहल्ले के, पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के की बीवी है|
लड़का जिंदगी से हरा नहीं है, उदास भी नहीं है, घूमता-फिरता है, कार्ड swipe करता है,
जैसे टाइम से सुबह स्कूल जाता था, वैसे ही टाइम से अब ऑफिस जाता है,
हाँ जैसे टाइम से स्कूल से आता था, वैसे टाइम से ऑफिस से नहीं आता,
स्कूल का होमवर्क करता था, अब ऑफिस का काम घर लाता है|
1 मई की छुट्टी के लिए बड़ा ही Excited है
ऑफिस में सबसे बहस करता है -
कि "हम मजदूर थोड़े हैं", उसे बस छुट्टी से मतलब है,
रोज़ “चूर” होकर होकर लौटता है, कभी थककर कभी बिना थके,
शाम को घर आता है, खाना खाकर टीवी देखकर, किसी न्यूज़ चैनल की TRP बढ़ाता है,
अगले दिन आराम से दिन के 12 बजे, पापा के फ़ोन से उठता है, हँस के बताता है -
"आज छुट्टी है"
पापा को समझाता भी है
"वो मजदूर थोड़े है"
फोन काटने के बाद, शीशे में खुद को देखकर ब्रश करता है,
एक बार मुँह धोता है, और फेसवाश अपने चेहरे पर रगड़ कर ऑफिस वाले चेहरे की क्रीम लगाता है,
एक बार फिर ध्यान से देखता है, शीशे वाले चेहरे को और बुदबुदाता है,
"मैं मजदूर थोड़े हूँ, मैं मजबूर थोड़े हूँ"
पता नहीं एक दम से क्या याद आता है उसको,
और मुहल्ले वाला पढ़ने में सबसे तेज़ लड़का, दुबारा मुँह धो लेता है...
ग्यारहवीं क्लास में आते आते, चश्मा पहनने लगा था|
इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए, दिन रात एक करता था
Coaching वाली लड़की जो, Irodov और H.C Verma की किताब में,
friction वाले सवाल की तरह अटक गयी थी;
उस लड़की को दूर भगाता था, बस एक बार इंजीनियर बन जाये,
तो लड़की के घर जाकर, हीरो माफ़िक हाथ मांग लेगा उसका,
अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग का कुल इतना ही मतलब समझता था|
लड़का इंजीनियर बन गया, सुना है बड़ी कंपनी में नौकरी भी करता है,
कंपनी में और भी ना जाने कितने मुहल्लों के, पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के हैं
कंपनी जैसे हजारों मुहल्ले निगल जाती हो;
लड़के के मुहल्ले के कई लड़के, उसके जैसा होना चाहते हैं
चश्में का नंबर बढ़ गया है, अच्छे मेहंगे चश्में से भी वो, coaching वाली लड़की साफ नहीं दिखती,
वो ऐसे ही किसी दूसरे मुहल्ले के, पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के की बीवी है|
लड़का जिंदगी से हरा नहीं है, उदास भी नहीं है, घूमता-फिरता है, कार्ड swipe करता है,
जैसे टाइम से सुबह स्कूल जाता था, वैसे ही टाइम से अब ऑफिस जाता है,
हाँ जैसे टाइम से स्कूल से आता था, वैसे टाइम से ऑफिस से नहीं आता,
स्कूल का होमवर्क करता था, अब ऑफिस का काम घर लाता है|
1 मई की छुट्टी के लिए बड़ा ही Excited है
ऑफिस में सबसे बहस करता है -
कि "हम मजदूर थोड़े हैं", उसे बस छुट्टी से मतलब है,
रोज़ “चूर” होकर होकर लौटता है, कभी थककर कभी बिना थके,
शाम को घर आता है, खाना खाकर टीवी देखकर, किसी न्यूज़ चैनल की TRP बढ़ाता है,
अगले दिन आराम से दिन के 12 बजे, पापा के फ़ोन से उठता है, हँस के बताता है -
"आज छुट्टी है"
पापा को समझाता भी है
"वो मजदूर थोड़े है"
फोन काटने के बाद, शीशे में खुद को देखकर ब्रश करता है,
एक बार मुँह धोता है, और फेसवाश अपने चेहरे पर रगड़ कर ऑफिस वाले चेहरे की क्रीम लगाता है,
एक बार फिर ध्यान से देखता है, शीशे वाले चेहरे को और बुदबुदाता है,
"मैं मजदूर थोड़े हूँ, मैं मजबूर थोड़े हूँ"
पता नहीं एक दम से क्या याद आता है उसको,
और मुहल्ले वाला पढ़ने में सबसे तेज़ लड़का, दुबारा मुँह धो लेता है...
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणी(comments) हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अत: टिप्पणी कर उत्साह बढ़ाते रहें।